फ़िल्मों की शाश्वत घटनायें...
भारत में हर साल औसतन (सभी भाषाओं को मिलाकर) लगभग एक हजार फ़िल्में बनती हैं, जो कि विश्व में सर्वाधिक हैं (Hindi Films in India)। जाहिर है कि फ़िल्में हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गई हैं और जैसा कि मैंने "फ़िल्मी मौत : क्या सीन है" में कहा था कि हम हिन्दी फ़िल्मों से प्यार करते हैं । वे अच्छी हो सकती हैं, बुरी हो सकती हैं, लेकिन आम जन के जीवन और समाज पर उनके सकारात्मक या नकारात्मक प्रभावों को खारिज नहीं किया जा सकता है ।
येसुदास के दो मधुर गीत
दक्षिण भारत के एक और महान गायक डॉ. के.जे.येसुदास (KJ Yesudas) के दो अनमोल गीत यहाँ पेश कर रहा हूँ । पहला गीत है फ़िल्म "आलाप" का - बोल हैं "कोई गाता मैं सो जाता...", गीत लिखा है हरिवंशराय बच्चन ने, संगीत है जयदेव का । यह एक बेहतरीन गीत है और जयदेव जो कि कम से कम वाद्यों का प्रयोग करते हैं, इस गीत में भी उन्होंने कमाल किया है । प्रस्तुत दोनों गीत यदि रात के अँधेरे में अकेले में सुने जायें तो मेरा दावा है कि अनिद्रा के रोगी को भी नींद आ जायेगी ।
फ़िल्मी मौत : क्या सीन है !
हिन्दी फ़िल्मों से हम प्यार करते हैं वे कैसी भी हों, हम देखते हैं, तारीफ़ करते हैं, आलोचना करते हैं लेकिन देखना नहीं छोडते, इसी को तो प्यार कहते हैं । हमारी हिन्दी फ़िल्मों में मौत को जितना "ग्लैमराईज" किया गया है उतना शायद और कहीं नहीं किया गया होगा । यदि हीरो को कैन्सर है, तो फ़िर क्या कहने, वह तो ऐसे मरेगा कि सबकी मरने की इच्छा होने लगे और यदि उसे गोली लगी है
ऐ भाई जरा देख के चलो (राजकपूर - २ जून)
दो जून को महान शोमैन राजकपूर की पुण्यतिथि है, और इस अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए मैं उनकी फ़िल्म "मेरा नाम जोकर" का एक असाधारण गीत प्रस्तुत करना चाहता हूँ, जो कई बार सुनाई दे जाता है, लेकिन अधिकतर लोग उसे सुनते वक्त "इग्नोर" कर देते हैं, दरअसल यह गीत भी अक्सर रेडियो पर पूरा नहीं बजाया जाता.. पहली बार में सुनते वक्त तो यह एक साधारण सा गीत लगता है, लेकिन गीतकार ने इसमें खोखली होती पूरी जीवन शैली को उघाडकर रख दिया है ।
जीवन डोर तुम्हीं संग बाँधी - पं. भरत व्यास
पंडित भरत व्यास हमारी हिन्दी फ़िल्मों के एक वरिष्ठ गीतकार रहे हैं । उनके गीतों में हमें हिन्दी के शब्दों की बहुतायत मिलती है और साथ ही उच्च कोटि की कविता का आनन्द भी । यह गीत उन्होंने फ़िल्म सती-सावित्री के लिये लिखा है, संगीतकार हैं लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल । यह गीत राग "यमन कल्याण" पर आधारित है, और गाया है स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने । पहले इस गीत की सुमधुर पंक्तियों पर नजर डाल लें....
- प्रारंभ करना
- पीछे
- 1
- 2
- अगला
- अंत