कश्मीर पर दो सकारात्मक ख़बरें : काम चालू है

कश्मीर पर दो सकारात्मक ख़बरें....

गिलगिट और पीओके क्षेत्र के लिए संसद में सीट आरक्षित करने के लिए भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने एक निजी बिल प्रस्तुत किया है जो संसद के बचे हुए बजट सत्र में चर्चा के लिए लिया जाएगा. इस निजी बिल में निशिकांत दुबे ने मांग की है कि गिलगिट और पाकिस्तान अतिक्रमित कश्मीर के इलाकों को एक राजनैतिक पहचान देने तथा “कश्मीर हमारा अभिन्न अंग है”, संसद की इस एकजुट मंशा को प्रकट करने के लिए संसद में पाँच सीटें आरक्षित की जाएँ. भले ही यह सीटें खाली रहें, लेकिन इससे दुनिया और गिलगिट में एक “सकारात्मक सन्देश” जाएगा कि भारत इन क्षेत्रों को अपने लोकतंत्र में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है.

उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा में कश्मीर के इस हिस्से के नाम पर चौबीस सीटें आरक्षित रखी गई हैं और वे खाली रखी जाती हैं, ताकि यह सन्देश जाए कि जब कभी गिलगिट और POK पाकिस्तान से स्वतन्त्र होकर भारत में मिलना चाहें तो उनके लिए “लोकतंत्र का ढाँचा” पहले से मौजूद है. निशिकांत दुबे ने आगे बताया कि “निजी सदस्य बिल सुविधा” के तहत उन्होंने इसकी मांग 2013 और 2014 में भी की थी, परन्तु संसद की स्थायी समिति से इसकी अनुमति नहीं मिली थी, अब जाकर उन्हें अपना निजी बिल प्रस्तुत करने की अनुमति मिली है, और उम्मीद है कि संसद इसे पास कर देगी क्योंकि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है ही.

एक अन्य सूचना के अनुसार इधर कश्मीरी हिन्दुओं के संगठन पनुन कश्मीर और यूथ ऑफ़ कश्मीर ने केंद्र सरकार से मांग की है कि उन्हें कश्मीर में पुनर्स्थापित करने की नीति के तहत जो 1800 पद आरक्षित किए गए हैं, उनकी सुरक्षा हेतु फंड बढ़ाया जाए तथा इन नौकरियों में और वृद्धि की जाए, ताकि लगभग तीस वर्षों से निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हिन्दू सहजता से कश्मीर के माहौल में एडजस्ट कर सकें. केंद्र सरकार और राज्य सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रही है.

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