भारत में अभिव्यक्ति यानी बोलने की स्वतंत्रा का दुरुपयोग हो रहा है। जिम्मेदार पद पर बैठे लोग गलत बयानी करते रहते हैं। उनकी असंसदीय टिप्पणी और बयानों का समाज और राष्ट्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा इस बेफ्रिक रहते हैं। जिसकी वजह से समाज में हिंसा, घृणा, जातिवाद, अलगाववाद की जड़ें मज़बूत हो रहीं हैं।

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अंग्रेजी नव वर्ष के आगमन के बाद पूरा विश्व नव वर्ष की खुशियां मना रहा था। किंतु कड़ाके की ठंड के बाद भी कश्मीर में गर्मी अचानक बढ़ गई थीI 4 जनवरी 1990 कश्मीर के एक स्थानीय "उर्दू समाचार पत्र आफताब" में कश्मीर के सभी अल्पसंख्यक हिंदुओं एवं सिक्खों को अपना सामान पैक कर कश्मीर छोड़ने के लिए कहा गया था।  पढ़िए 20वीं शताब्दी के सबसे बड़े मुस्लिम अत्याचार अर्थात कश्मीर के बारे में...

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