आज से दो वर्ष पूर्व शूद्र वर्ण विमर्श नामक शोध कार्य को मैंने हाथ में लिया था। हालांकि इसका काफी हिस्सा साल वर्ष 2005 में पीएचडी के दौरान ही तैयार कर लिया था। पीएचडी में भारतीय प्रबंध चिन्तन मेरा विषय था। भारत में प्राचीन काल से अत्यंत सुन्दर प्रबंध प्रणाली रही थी जिसमें मानव संसाधन और मानव संबंध सिद्धांत से जुड़े वर्तमान पाश्चात्य चिन्तन को उत्पादन की उत्कृष्टता के सन्दर्भ में कहीं ज्यादा गहराई से रेखांकित किया गया था। इस प्राचीन भारतीय प्रबंधन में शूद्र वर्ण को लेकर अनेक प्रश्न खड़े किए जाते हैं। जिनके उत्पादन और सेवाओं के द्वारा प्राचीन काल से भारत समृद्धि के शिखर पर पहुंचा तो उन शूद्रों के बारे में यह बातें कहां से आ गईं कि उन्हें पढऩे के अधिकार से वंचित रखा जाता था, उनके साथ भेदभाव होता था, उनका उच्च जातियों ने भयानक शोषण किया। ऐसे अनेक सवाल जो हर किसी शोध अध्येता के मन में उठ सकते हैं, मेरे मन में भी तब उठे।

Published in आलेख

जिस प्रकार तुर्की स्थित खलीफाओं के अत्याचारों को नकारने के लिए एक पूरी व्यवस्था को जन्म एवं समर्थन दिया गया, जिसमें गाँधी समर्थित खिलाफत आन्दोलन शामिल है, जबकि यह कोई खिलाफत आन्दोलन (Khilafat Movement) नहीं था, यह तुर्की के इस्लामी खलीफा को बचाने वहां लोकतंत्र की स्थापना के खिलाफ आन्दोलन था.

Published in आलेख

भारत के फर्जी इतिहासकारों ने अभी तक आपको हमेशा मुगलों (यानी बाहरी आक्रान्ताओं) के तमाम रोमांटिक किस्से ही सुनाए हैं. मुग़ल शासकों के अत्याचारों, हत्याकांडों और बलात्कारों को तो इन कथित इतिहासकारों ने छिपाया ही...

Published in आलेख

२३-२४ मार्च को अपने आप अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के तथा इनके कुछ प्रसिद्द छात्रों के ट्विटर अकाउंट बंद हो गए| कुछ लोगों का कहना था कि लेफ्ट विंग के छात्रों ने इन्हें टारगेट करके बहुत बड़ी संख्या में ब्लाक किया, जबकि कुछ लोगों का कहना था कि ट्विटर इंडिया के कश्मीरी प्रमुख राहील खुर्शीद ने ऐसा किया|

Published in आलेख