स्वामी विवेकानन्द ने हिन्दू की पहचान ही बताई थी: ‘सत्य का निष्कपट पुजारी’। यह महज सौ साल पहले की बात है। विवेकानन्द मात्र सैद्धांतिक नहीं, वरन व्यावहारिक स्थिति भी बता रहे थे। जिसके वे स्वयं प्रमाण थे। उन्होंने सारी दुनिया को किसी कपट या लफ्फाजी से नहीं, बल्कि शुद्ध सत्य से जीता था। तब क्या हो गया कि यहाँ हिन्दुओं में दिनों-दिन मिथ्याचार का सहारा लेने की आदत बढ़ती जा रही है?

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“महात्मा”(??) गाँधी के मुस्लिम प्रेम के बारे में बाकायदा तथ्यात्मक रूप से एवं विभिन्न लेखकों की पुस्तकों के सन्दर्भ देकर पहले काफी कुछ लिखा जा चुका है. गाँधी द्वारा गाहे-बगाहे हिंदुओं को ज्ञान बाँटने के तमाम पहलू इतिहास में दर्ज हैं, साथ ही तुर्की के खलीफा के समर्थन में सुदूर भारत में चल रहे मुस्लिमों के आंदोलन, जिसका नाम हिंदुओं को मूर्ख बनाने के लिए “खिलाफत आंदोलन” रखा गया था, के प्रति गाँधी का समर्थन भी जगज़ाहिर है.

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