फेसबुक/व्हाट्स एप्प के बाजीगरों ने यह आँकड़ा 42,000 करोड़ रूपए बताया था. ऐसा भी दावा किया गया कि यह सिर्फ मोदीजी की कूटनीति के कारण ही यह संभव हुआ है, और यह दाऊद के लिए एक बड़ा झटका है.
स्वाभाविक है कि यह खबर थी ही ऐसी कि तत्काल वायरल हो जाए, परन्तु बिना देखे, बिना सोचे-समझे किसी भी खबर पर यकीन करने वालों ने ताबड़तोड़ इस खबर को फारवर्ड करना शुरू कर दिया था. लेकिन जब एक अखबार ने इस खबर की गंभीरता से पड़ताल शुरू की तो कुछ और ही तथ्य सामने आए, जिसने मोदी जी के “अति-उत्साही” समर्थकों की फ़ौज को शर्मिंदा कर दिया है. अखबार के पत्रकार ने ब्रिटिश सरकार की आधिकारिक वेबसाईट पर इस जानकारी को खोजने का प्रयास किया, परन्तु वहाँ दाऊद की इस संपत्ति के बारे में कोई उल्लेख या नोटिफिकेशन नहीं मिला. ब्रिटेन में प्रक्रिया यह है कि किसी भी व्यक्ति, संस्थान अथवा उद्योग की संपत्ति जब्त करने का कार्य एचएम ट्रेजरी मंत्रालय के अधीन होता है. अखबार के पत्रकार ने ब्रिटिश ट्रेजरी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी गैरेथ जोंस से संपर्क किया. जोंस ने अखबार के प्रतिनिधि से बात करते हुए बताया कि अभी इस समय ब्रिटिश सरकार द्वारा दाऊद की किसी संपत्ति को जब्त करने संबंधी समाचार एकदम झूठा है. अभी हमारे मंत्रालय ने ऐसी कोई कार्यवाही नहीं की है. दाऊद इब्राहीम का नाम हमारे मंत्रालय की “निगरानी सूची” (Financial Sanction Target) में 182वें क्रमांक पर जरूर है, लेकिन अभी उसकी किसी संपत्ति को जब्त नहीं किया गया है. आगे जैसी परिस्थिति निर्माण होगी, उसके अनुसार कदम उठाए जाएँगे. नियमों के अनुसार यह आवश्यक नहीं है कि “फाईनेंशियल सेंक्शन टार्गेट” की सूची में शामिल प्रत्येक व्यक्ति की संपत्ति सरकार जब्त करेगी ही. ट्रेजरी मंत्रालय द्वारा समय-समय पर इस सूची में बदलाव अथवा जोड़-घटाव होता रहता है. फिलहाल हमने दाऊद की कुछ संपत्तियों को “निगरानी सूची” में जरूर डाला है, लेकिन जब्ती की कार्यवाही तभी होती है, जब यह सिद्ध हो जाए कि वह संपत्ति उस आतंकी अथवा अपराधी के नाम पर ही है, और उसने कर अपवंचन करके यह संपत्ति खरीदी है. अखबार ने अपने सूत्रों से इस निगरानी सूची को हासिल किया तो पाया कि वास्तव में दाऊद का नाम उस सूची में 182वें क्रमांक पर है, लेकिन यह नाम 2012 में जोड़ा गया है (जिस समय भारत में UPA का शासन था).
अखबार ने अपने इस शोध को आगे बढ़ाते हुए लन्दन स्थित पत्रकार अमरदीप बैसी से संपर्क किया. ये वही पत्रकार हैं, जिसने सबसे पहले दाऊद की संपत्ति के सम्बन्ध में “बर्मिंघम मेल” एवं मिरर में 12 सितम्बर को यह खबर दी थी कि “दाऊद की 42000 करोड़ की संपत्ति जब्त हुई”. पत्रकार अमरदीप ने बताया कि भारतीय चैनलों एवं अखबारों ने मेरी खबर का गलत अर्थ निकाला है. दाऊद की संपत्ति अभी जब्त नहीं हुई है, केवल “Freezed” की गयी है. संपत्ति “Freezed” और संपत्ति जब्त, इन दोनों में काफी अंतर है. संपत्ति “फ्रीज़” करने का अर्थ यह है कि ब्रिटिश सरकार ने इस संपत्ति को निगरानी सूची में रखा हुआ है और जाँच जारी है. “डेली मिरर” में मैंने स्पष्ट लिखा है कि दाऊद की संपत्ति “फ्रीज़” (या अटैच) की गयी है, जब्ती का मैंने कतई उल्लेख नहीं किया. भारतीय मीडिया ने पता नहीं क्यों और कैसे इसे तोड़मरोड़ कर पेश किया. भारत में सोशल मीडिया में इस बारे में जो ख़बरें चल रही हैं, वह नितांत अपूर्ण और भ्रामक हैं. यदि ब्रिटिश सरकार की कागज़ात जाँच और दाऊद द्वारा प्राप्त जवाब से यह सिद्ध हुआ कि 42000 करोड़ की यह संपत्ति दाऊद की ही है, तभी जब्ती की प्रक्रिया आरम्भ हो सकती है, और उसमें भी काफी समय लगेगा क्योंकि मामला फिर से न्यायिक प्रक्रिया में उलझ सकता है. यदि यह संपत्ति दाऊद इब्राहीम की नहीं निकली तो वह दस्तावेजों में उल्लिखित उसके मूल मालिकों को लौटा दी जाएगी. फिर भी यह ध्यान में रखना जरूरी है कि इस संपत्ति के बारे में दाऊद का नाम संदिग्धों की सूची में 182वें नंबर पर सन 2012 में ही डाला गया है... वर्तमान में नया कुछ नहीं किया गया है.
अब चलते-चलते यह भी देख लेते हैं कि भारत में दाऊद की संपत्तियों के क्या हाल हैं. एक अखबार की रिपोर्ट के अनुसार केवल भारत में दाऊद इब्राहीम की लगभग 1000 संपत्तियां हैं, जिनकी कीमत अनुमानित रूप से 80,000 करोड़ रूपए है. वर्तमान स्थिति यह है कि दाऊद के सबसे बड़े होटल, यानी कि दक्षिण मुम्बई स्थित होटल ज़किया पर प्रशासनिक अधिकारियों ने जो ताले और सील लगाए थे, वह टूटे हुए मिले हैं. दाऊद के भाई ने इस होटल का हिस्सा 17500 रूपए प्रतिमाह किराए की दर से चढ़ा दिया है. भारत सरकार अभी तक दाऊद की केवल पचास संपत्तियां "अटैच" करने में सफल हुई है (ध्यान दें, अटैच हुई हैं, जब्त नहीं), अन्य 350 संपत्तियों को "अटैच" करने की कार्यवाही जारी है... जो कि दाऊद की अनुमानित संपत्ति का तीस प्रतिशत ही है. कहने का तात्पर्य यह है कि दाऊद इब्राहीम की सम्पत्तियाँ अभी भारत में ही जब्त नहीं हो पा रही हैं, तो ब्रिटेन में उसकी सम्पत्तियाँ जब्त करने की ख़बरें किसने प्लांट कीं? और सोशल मीडिया तथा मेनस्ट्रीम मीडिया में इस अफवाह को किसने उड़ाया? इसके पीछे का मकसद क्या था?
यह घटना (जिसकी अभी तक सरकार की तरफ से ना तो पुष्टि हुई और ना ही खंडन), सोशल मीडिया और भारतीय चैनलों का उतावलापन दर्शाती है. साथ ही यह भी सिद्ध करती है कि मोदी समर्थकों की कट्टर सेना, पिछली सरकारों द्वारा शुरू किए गए कई कार्यों का श्रेय भी नरेंद्र मोदी के माथे पर रखना चाहती है. समस्या यह है कि ऐसे बर्ताव से आगे चलकर मोदीजी को दिक्कत भी हो सकती है.