अब ज़ाकिर नाईक को कनाडा ने भी वीज़ा देने से इंकार किया… ... Zakir Naik Denied Visa UK and Canada
Written by Super User गुरुवार, 24 जून 2010 14:23
बेचारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उनकी रातों की नींद का क्या होगा। जब-जब किसी "मासूम", "भटके हुए", "निरपराध" भारतीय को कोई विदेशी सरकार परेशान करती है तो मनमोहन सिंह की रातों की नींद खराब हो ही जाती है। कुछ दिनों पहले ही यह खबर आई थी कि ब्रिटेन ने "जोकर" (सॉरी जाकिर) नाईक को उनके देश में प्रवेश देने से इंकार कर दिया था (यहाँ देखें... http://arabnews.com/world/article68460.ece) और अब ताज़ा खबर यह है कि "जोकर" (सॉरी… ज़ाकिर) नाईक को कनाडा ने भी अपने यहाँ घुसने से मना किया है (यहाँ देखें…http://peacetimes.net/2010/06/dr-zakir-naik-banned-in-canada-follows-the-footsteps-of-uk/)
मजे की बात तो यह है कि कनाडा की "मुस्लिम कनाडा कॉंग्रेस" के अध्यक्ष तारिक फ़तेह ने खुद ही फ़ेसबुक पर "Keep Zakir Naik Out of Canada" का जोरदार अभियान चलाया था और उन्हें भरपूर समर्थन भी मिला (यहाँ देखें…http://www.facebook.com/group.php?gid=128828540484928&v=app_2373072738)। इससे यह भी साबित होता है कि आम मुस्लिम तो शान्ति से रहना चाहता है, लेकिन कुछ जेहादी टाइप के लोग उन्हें सभी देशों में शक की निगाह से देखे जाने को अभिशप्त बना देते हैं। ज़ाकिर नाईक द्वारा कुरआन की ऊटपटांग व्याख्याओं का विरोध भारत में भी हो चुका है, लेकिन फ़िर रहस्यमयी चुप्पी साध ली गई।
बहरहाल, भारत में ज़ाकिर नाईक और "भटके हुए नौजवानों" के "खैरख्वाह चैम्पियन" यानी कि महेश भट्ट ने ब्रिटेन को धमकी(? हा हा हा हा हा हा) दी है कि इस कारण भारत के साथ उसके सम्बन्ध खराब हो सकते हैं। ज़ाकिर नाईक ने भी कहा है कि वे विदेश मंत्री एसएम कृष्णा से मिलकर उन पर लगे बैन को हटवाने का अनुरोध करने की अपील करेंगे (लेकिन अब तो कनाडा ने भी…? बेचारे कृष्णा को बुढ़ापे में कहाँ-कहाँ दौड़ाओगे यार?)। एक मुस्लिम संगठन ने मुम्बई में ब्रिटिश उच्चायोग (British High Commissioner) के दफ़्तर के सामने प्रदर्शन करने की धमकी भी दी है… यानी चारों तरफ़ से "मासूम" ज़ाकिर को बचाने की मुहिम शुरु की जा चुकी है।
वैसे आप लोगों को यह अच्छी तरह से याद होगा कि किस तरह भारत के एक प्रदेश के तीन-तीन बार चुने हुए संवैधानिक पद पर आसीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) को अमेरिका ने जब वीज़ा देने से इंकार कर दिया था, उस समय कौओं की काँव-काँव सुनाई नहीं दी थी, क्योंकि उस समय मामला किसी "मासूम", "निरपराध" और "भटका हुआ नौजवान" से जुड़ा हुआ नहीं था…
ज़ाकिर नाईक साहब के कुछ प्रसिद्ध वक्तव्यों की एक बानगी देख लीजिये -
2) मुस्लिम देशों में किसी अन्य धर्मांवलम्बी को किसी प्रकार के मानवाधिकार प्राप्त नहीं होने चाहिये, यहाँ तक कि किसी अन्य धर्म के पूजा स्थल भी नहीं बनाये जा सकते…
3) ज़ाकिर नाईक के अनुसार मुस्लिम लोग तो किसी भी देश में मस्जिदें बना सकते हैं लेकिन इस्लामिक देश में चर्च या मन्दिर नहीं चलेगा।
4) यदि मुझसे पूछा जाये लादेन इस्लाम के विरोधियों से लड़ रहा है और वह इस्लाम का सच्चा योद्धा है।
5) यदि लादेन सबसे बड़े आतंकवादी देश अमेरिका को आतंक का सबक सिखा रहा है तो हर मुस्लिम को आतंकवादी बन जाना चाहिये।
6) यदि महिलाएं पश्चिमी परिधान पहनती हैं तो वह खुद को बलात्कार का शिकार बनने के लिये "पेश करती" हैं।
(उक्त सभी महान विचार बाकायदा अखबारों और यू-ट्यूब पर मौजूद हैं…)
भला बताईये… ऐसे "विद्वान" को अपने देश में घुसपैठ करने से रोक कर ब्रिटेन और कनाडा अपना कितना "बौद्धिक नुकसान" कर रहे हैं।
अब यदि इस मामले में भारत सरकार हस्तक्षेप करती है तो पहले से ही "नंगी" हो चुकी उनकी धर्मनिरपेक्षता और भी "बदकार" सिद्ध हो जायेगी, क्योंकि नरेन्द्र मोदी के मामले में भारत सरकार का मुँह बन्द हो गया था जबकि संवैधानिक रुप से देखा जाये तो मोदी का अपमान देश का अपमान था। साथ ही ज़ाकिर वीज़ा मुद्दे पर दोगले वामपंथियों का रुख भी देखने लायक होगा, जो पहले ही तसलीमा नसरीन वीज़ा मामले में "सेकुलरिज़्म" की रोटी सेंक चुके हैं। मुस्लिमों को खुश करने सम्बन्धी अमेरिका का दोगलापन भी ज़ाहिर हो ही चुका है, क्योंकि उसने नरेन्द्र मोदी को भले ही वीज़ा न दिया हो, लेकिन सिखों के नरसंहार वाले HKL भगत, टाइटलर, सज्जन कुमार से लेकर गैस काण्ड के मौत के सौदागर "अर्जुन सिंह" और "राजीव गांधी" न जाने कितनी बार अमेरिका की यात्रा कर चुके हैं…।
ऐसा महान देश आपने कहीं नहीं देखा होगा, जहाँ विदेश नीति भी "शर्मनिरपेक्षता" के आधार पर तय होती हो… क्योंकि जिस देश को कभी भी "तनकर खड़ा होना" सिखाया ही नहीं गया, जिसे जानबूझकर "एक पार्टी" द्वारा अशिक्षित और गरीब रखा गया, जिसे कुछ पार्टियों ने जानबूझकर स्कूली पुस्तकों में उसकी संस्कृति से काटकर रखा, वह ऐसे ही कीड़े की तरह रेंगता रहता है… और चीन की तरह ताकतवर बनने के सपने (सिर्फ़ सपने) देखता रहता है।
बहरहाल, ज़ाकिर नाईक वीज़ा मामले में आगामी घटनाक्रम पर नज़र रखने की आवश्यकता है, क्योंकि यह भी कांग्रेसियों और वामपंथियों की "शर्मनिरपेक्षता" की राह में एक नज़ीर साबित होगा…। ब्रिटेन और कनाडा ने राह तो दिखाई है लेकिन शायद बराक "हुसैन" ओबामा (जो कम से कम 9 मौकों पर सार्वजनिक रुप से खुद को मुस्लिम कह चुके हैं) इतनी हिम्मत जुटाने में कामयाब न हो सकें…। और भारत की सरकार तो खैर………
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चलते-चलते : विषय से थोड़ा हटकर एकदम ताज़ा खबर मिली है कि गुजरात सरकार को संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार (UNPSA) हेतु चुना गया है। गुजरात सरकार द्वारा आम जनता की शिकायतों को सुनने के लिये "स्वागत" (SWAGAT - State Wide Attention on Grievances with Application of Technology योजना शुरु की गई थी, जिसमें मुख्यमंत्री खुद 26 जिलों की 225 तहसीलों से सीधे संवाद करते हैं तथा शिकायतों का तत्काल निवारण करते हैं। इस पुरस्कार को दो बार प्राप्त करने वाला गुजरात देश का पहला राज्य है। (यहाँ देखें… http://www.narendramodi.in/#slideshare)
(गैस काण्ड में जनता को लूटने वाले हत्यारों के सरताजों तथा 30 साल से लगातार एक ही राज्य को बरबाद करने वालों, कांग्रेस के हाथों बिके हुए मीडियाई भाण्डों… कुछ तो शर्म करो...)
मजे की बात तो यह है कि कनाडा की "मुस्लिम कनाडा कॉंग्रेस" के अध्यक्ष तारिक फ़तेह ने खुद ही फ़ेसबुक पर "Keep Zakir Naik Out of Canada" का जोरदार अभियान चलाया था और उन्हें भरपूर समर्थन भी मिला (यहाँ देखें…http://www.facebook.com/group.php?gid=128828540484928&v=app_2373072738)। इससे यह भी साबित होता है कि आम मुस्लिम तो शान्ति से रहना चाहता है, लेकिन कुछ जेहादी टाइप के लोग उन्हें सभी देशों में शक की निगाह से देखे जाने को अभिशप्त बना देते हैं। ज़ाकिर नाईक द्वारा कुरआन की ऊटपटांग व्याख्याओं का विरोध भारत में भी हो चुका है, लेकिन फ़िर रहस्यमयी चुप्पी साध ली गई।
बहरहाल, भारत में ज़ाकिर नाईक और "भटके हुए नौजवानों" के "खैरख्वाह चैम्पियन" यानी कि महेश भट्ट ने ब्रिटेन को धमकी(? हा हा हा हा हा हा) दी है कि इस कारण भारत के साथ उसके सम्बन्ध खराब हो सकते हैं। ज़ाकिर नाईक ने भी कहा है कि वे विदेश मंत्री एसएम कृष्णा से मिलकर उन पर लगे बैन को हटवाने का अनुरोध करने की अपील करेंगे (लेकिन अब तो कनाडा ने भी…? बेचारे कृष्णा को बुढ़ापे में कहाँ-कहाँ दौड़ाओगे यार?)। एक मुस्लिम संगठन ने मुम्बई में ब्रिटिश उच्चायोग (British High Commissioner) के दफ़्तर के सामने प्रदर्शन करने की धमकी भी दी है… यानी चारों तरफ़ से "मासूम" ज़ाकिर को बचाने की मुहिम शुरु की जा चुकी है।
वैसे आप लोगों को यह अच्छी तरह से याद होगा कि किस तरह भारत के एक प्रदेश के तीन-तीन बार चुने हुए संवैधानिक पद पर आसीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) को अमेरिका ने जब वीज़ा देने से इंकार कर दिया था, उस समय कौओं की काँव-काँव सुनाई नहीं दी थी, क्योंकि उस समय मामला किसी "मासूम", "निरपराध" और "भटका हुआ नौजवान" से जुड़ा हुआ नहीं था…
ज़ाकिर नाईक साहब के कुछ प्रसिद्ध वक्तव्यों की एक बानगी देख लीजिये -
1) "यदि कोई व्यक्ति मुस्लिम से गैर-मुस्लिम बन जाता है तो उसकी सज़ा मौत है, यहाँ तक कि इस्लाम में आने के बाद वापस जाने की सजा भी मौत है…"
2) मुस्लिम देशों में किसी अन्य धर्मांवलम्बी को किसी प्रकार के मानवाधिकार प्राप्त नहीं होने चाहिये, यहाँ तक कि किसी अन्य धर्म के पूजा स्थल भी नहीं बनाये जा सकते…
3) ज़ाकिर नाईक के अनुसार मुस्लिम लोग तो किसी भी देश में मस्जिदें बना सकते हैं लेकिन इस्लामिक देश में चर्च या मन्दिर नहीं चलेगा।
4) यदि मुझसे पूछा जाये लादेन इस्लाम के विरोधियों से लड़ रहा है और वह इस्लाम का सच्चा योद्धा है।
5) यदि लादेन सबसे बड़े आतंकवादी देश अमेरिका को आतंक का सबक सिखा रहा है तो हर मुस्लिम को आतंकवादी बन जाना चाहिये।
6) यदि महिलाएं पश्चिमी परिधान पहनती हैं तो वह खुद को बलात्कार का शिकार बनने के लिये "पेश करती" हैं।
(उक्त सभी महान विचार बाकायदा अखबारों और यू-ट्यूब पर मौजूद हैं…)
भला बताईये… ऐसे "विद्वान" को अपने देश में घुसपैठ करने से रोक कर ब्रिटेन और कनाडा अपना कितना "बौद्धिक नुकसान" कर रहे हैं।
अब यदि इस मामले में भारत सरकार हस्तक्षेप करती है तो पहले से ही "नंगी" हो चुकी उनकी धर्मनिरपेक्षता और भी "बदकार" सिद्ध हो जायेगी, क्योंकि नरेन्द्र मोदी के मामले में भारत सरकार का मुँह बन्द हो गया था जबकि संवैधानिक रुप से देखा जाये तो मोदी का अपमान देश का अपमान था। साथ ही ज़ाकिर वीज़ा मुद्दे पर दोगले वामपंथियों का रुख भी देखने लायक होगा, जो पहले ही तसलीमा नसरीन वीज़ा मामले में "सेकुलरिज़्म" की रोटी सेंक चुके हैं। मुस्लिमों को खुश करने सम्बन्धी अमेरिका का दोगलापन भी ज़ाहिर हो ही चुका है, क्योंकि उसने नरेन्द्र मोदी को भले ही वीज़ा न दिया हो, लेकिन सिखों के नरसंहार वाले HKL भगत, टाइटलर, सज्जन कुमार से लेकर गैस काण्ड के मौत के सौदागर "अर्जुन सिंह" और "राजीव गांधी" न जाने कितनी बार अमेरिका की यात्रा कर चुके हैं…।
ऐसा महान देश आपने कहीं नहीं देखा होगा, जहाँ विदेश नीति भी "शर्मनिरपेक्षता" के आधार पर तय होती हो… क्योंकि जिस देश को कभी भी "तनकर खड़ा होना" सिखाया ही नहीं गया, जिसे जानबूझकर "एक पार्टी" द्वारा अशिक्षित और गरीब रखा गया, जिसे कुछ पार्टियों ने जानबूझकर स्कूली पुस्तकों में उसकी संस्कृति से काटकर रखा, वह ऐसे ही कीड़े की तरह रेंगता रहता है… और चीन की तरह ताकतवर बनने के सपने (सिर्फ़ सपने) देखता रहता है।
बहरहाल, ज़ाकिर नाईक वीज़ा मामले में आगामी घटनाक्रम पर नज़र रखने की आवश्यकता है, क्योंकि यह भी कांग्रेसियों और वामपंथियों की "शर्मनिरपेक्षता" की राह में एक नज़ीर साबित होगा…। ब्रिटेन और कनाडा ने राह तो दिखाई है लेकिन शायद बराक "हुसैन" ओबामा (जो कम से कम 9 मौकों पर सार्वजनिक रुप से खुद को मुस्लिम कह चुके हैं) इतनी हिम्मत जुटाने में कामयाब न हो सकें…। और भारत की सरकार तो खैर………
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चलते-चलते : विषय से थोड़ा हटकर एकदम ताज़ा खबर मिली है कि गुजरात सरकार को संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार (UNPSA) हेतु चुना गया है। गुजरात सरकार द्वारा आम जनता की शिकायतों को सुनने के लिये "स्वागत" (SWAGAT - State Wide Attention on Grievances with Application of Technology योजना शुरु की गई थी, जिसमें मुख्यमंत्री खुद 26 जिलों की 225 तहसीलों से सीधे संवाद करते हैं तथा शिकायतों का तत्काल निवारण करते हैं। इस पुरस्कार को दो बार प्राप्त करने वाला गुजरात देश का पहला राज्य है। (यहाँ देखें… http://www.narendramodi.in/#slideshare)
(गैस काण्ड में जनता को लूटने वाले हत्यारों के सरताजों तथा 30 साल से लगातार एक ही राज्य को बरबाद करने वालों, कांग्रेस के हाथों बिके हुए मीडियाई भाण्डों… कुछ तो शर्म करो...)
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