काँग्रेस मुक्त भारत की तरफ एक कदम
कहते हैं कि “मुसीबत कभी अकेले नहीं आती, साथ में दो-चार संकट और लेकर आती है”. वर्तमान में कांग्रेस के साथ शायद यही हो रहा है. नेशनल हेराल्ड घोटाले का मामला न्यायालय में है और इटली के अगस्ता हेलीकॉप्टरों संबंधी घूस का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव सिर पर आ धमके. कांग्रेस के राहुल बाबा अभी छुट्टियों के मूड में आने ही वाले थे कि भीषण गर्मी में उन्हें पसीना बहाने के लिए मैदान में उतरना पड़ा.
राहुल गाँधी और काँग्रेस की अंदरूनी राजनीति
सत्ता की भनक सूँघने में कांग्रेसियों से ज्यादा माहिर कोई नहीं होता, इसलिए आज यदि कई कांग्रेसियों को लग रहा है कि राहुल गाँधी उन्हें सत्ता दिलवाने में नाकाम हो रहे हैं तो षड्यंत्र और गहराएँगे. काँग्रेस पार्टी और खासकर राहुल गाँधी को सबसे पहले “अपने घर” पर ध्यान देना चाहिए. एकाध बार तो ठीक है, परन्तु हमेशा खामख्वाह दाढ़ी बढ़ाकर प्रेस कांफ्रेंस में एंग्री यंगमैन की भूमिका उनके लिए घातक सिद्ध हो रही है.