मेवात घटना :- दलितों में इतना सन्नाटा क्यों है भाई?
मीडिया में गुजरात के ऊना की घटना पर अपने आपको बुद्धिजीवी कहने वाली जमात हिन्दुओं को जातिवादी, अत्याचारी, मनुवादी, ब्राह्मणवादी न जाने क्या क्या कह चिल्लाई।
नक्सलवादियों ने भीमा कोरेगाँव मामले में घुसपैठ की...
पिछले दिनों महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगाँव (Bhima Koregaon) में जो सुनियोजित दंगा और हंगामा हुआ, तथा जिसे जानबूझकर ब्राह्मण विरुद्ध दलित (Anti Brahmin Propaganda) का जामा पहनाया गया, वह वास्तव में नक्सलवादियों-माओवादियों का षड्यंत्र था.
दलित युवक सायबन्ना, और बानू बेगम की दुखद प्रेमकथा
पिछले कुछ वर्षों से उत्तरी भारत में राजनैतिक महत्त्वाकांक्षा और देश तोड़ने की योजना के तहत दलित-मुस्लिम गठजोड़ और इनके बीच तथाकथित सामाजिक समरसता निर्माण करने के खोखले प्रयास चल रहे हैं.
दलित-मुस्लिम एकता की पोल : संत रविदास और कबीर (भाग १)
आजकल देश में दलित राजनीती की चर्चा जोरों पर है। इसका मुख्य कारण नेताओं द्वारा दलितों का हित करना नहीं अपितु उन्हें एक वोट बैंक के रूप में देखना हैं। इसीलिए हर राजनीतिक पार्टी दलितों को लुभाने की कोशिश करती दिखती है।
मुस्लिमों का नकली दलित प्रेम
इस्लाम में तमाम तरह की ऊँच-नीच और जाति प्रथा होने के बावजूद अपना घर सुधारने की बजाय, उन्हें हिन्दू दलितों की “नकली चिंता” अधिक सताती है. विभिन्न फोरमों एवं सोशल मीडिया में असली-नकली नामों तथा वामपंथी बुद्धिजीवियों के फेंके हुए बौद्धिक टुकड़ों के सहारे ये मुस्लिम बुद्धिजीवी हिंदुओं में दरार बढ़ाने की लगातार कोशिश करते रहते हैं. जबकि इनके खुद के संस्थानों में इन्होंने दलितों के लिए दरवाजे बन्द कर रखे हैं.