वामपंथी अखबारों और समर्थकों के लिये उन्हीं के राज्यों से "धर्मनिरपेक्षता से लबालब" भरे दो समाचार…… Secularism in Communist Kerala-Bengal
Written by Super User मंगलवार, 22 जून 2010 12:01
पाठकों ने अक्सर विभिन्न ब्लॉग्स और फ़ोरमों पर वामपंथी समर्थकों को अपने सिद्धान्त और नैतिकता या सेकुलरिज़्म सम्बन्धी लेक्चर झाड़ते सुना ही होगा। वामपंथियों को इस बात का मुगालता हमेशा रहा है कि इस देश में सेकुलरिज़्म यदि जिन्दा है तो सिर्फ़ उन्हीं की वजह से, क्योंकि कांग्रेस और भाजपा को वे लोग एक ही सिक्के के दो पहलू मानते आये हैं। हालांकि उनके इन "सिद्धान्तों"(?) की पोल कई बार खुल चुकी है, फ़िर भी वे खुद को "धर्मनिरपेक्षता का असली योद्धा"(?) समझने से बाज नहीं आते…। जैसा कि सभी जानते हैं, केरल और पश्चिम बंगाल में ऐसे ही महान वामपंथियों का कई वर्षों तक सत्ता पर कब्जा रहा है… इन्हीं दो राज्यों से "धर्मनिरपेक्षता से लबालब भरे" दो समाचार आये हैं…
कोलकाता की आलिया यूनिवर्सिटी में तृणमूल कांग्रेस स्टूडेंट यूनियन के हसन-उज-जमाँ नामक छात्र नेता ने वहाँ की एक बंगाली शिक्षिका श्रीमती शिरीन मिद्या को बुरका पहनकर कॉलेज आने के लिये धमकाया। जब श्रीमती मिद्या ने बुरका पहनने से मना कर दिया और वाइस चांसलर शम्सुल आलम और रजिस्ट्रार डॉ अनवर हुसैन से शिकायत की तो उन्होंने उस छात्रनेता पर कोई कार्रवाई करने से इंकार कर दिया। उलटे वाइस चांसलर ने उन्हें यूनिवर्सिटी न जाने की सलाह दे डाली। हिम्मती महिला श्रीमती मिद्या ने पश्चिम बंगाल के अल्पसंख्यक मंत्री अब्दुल सत्तार से शिकायत की, तो उन्होंने बदले में श्रीमती मिद्या का तबादला यूनिवर्सिटी से साल्ट लेक कैम्पस स्थित लाइब्रेरी में कर दिया। जब इस मामले में पत्रकारों ने रजिस्ट्रार से सम्पर्क किया तो उन्होंने कहा कि "वैसे तो आलिया यूनिवर्सिटी में कोई ड्रेस-कोड नहीं है, लेकिन चूंकि यह मदरसा सिस्टम पर आधारित है, इसलिये महिला शिक्षिकाओं को "शालीन परिधान" पहनना ही चाहिये…" (यानी रजिस्ट्रार "अनवर हुसैन" महोदय मानते हैं कि सिर्फ़ "बुरका" ही शालीन परिधान है…)। क्या आपने किसी महिला संगठन, महिला आयोग या किसी महिला नेत्री को एक महिला शिक्षिका पर हुई इस "ज्यादती" का विरोध करते सुना है? विरोध करने वाली महिला का तबादला किये जाने से यूनिवर्सिटी की बाकी महिलाओं को बुरका पहनाना आसान हो गया है, क्योंकि सभी में श्रीमती मिद्या जैसी हिम्मत नहीं होती। गिरिजा व्यास जी सुन रही हैं क्या?
असल में तृणमूल कांग्रेस ने फ़िलहाल वामपंथियों के "पिछवाड़े में हड़कम्प" मचा रखा है, इसलिये तृणमूल कांग्रेस के एक छात्रनेता को "धार्मिक" मामले (इसे मुस्लिम मामले पढ़ें) में हाथ लगाने की हिम्मत बंगाल के वामपंथी मंत्री की नहीं थी, ऊपर से विधानसभा चुनाव सिर पर आन खड़े हैं सो "धर्मनिरपेक्षता" बरकरार रखने की खातिर एक टीचर का ट्रांसफ़र कर भी दिया तो क्या? लेकिन क्या श्रीमती मिद्या का तबादला करके एक तरह से वामपंथियों ने "अघोषित फ़तवे" का समर्थन नहीं किया है? मुस्लिम वोटों की खातिर सदा हर जगह "लेटने" वाले वामपंथी उस समय सैद्धान्तिक रुप से बुरी तरह उखड़ जाते हैं जब "हिन्दुत्व" या "हिन्दू वोटों" की बात की जाती है…। यहाँ एक और बात नोट करने लायक है कि पश्चिम बंगाल के अधिकतर मुस्लिम बहुल शिक्षा संस्थानों में "गैर-मुस्लिम" शिक्षकों को स्वीकार नहीं किया जा रहा है, भले ही उनके पास आधिकारिक नियुक्ति पत्र (Appointment Letter) हो
चूंकि केरल में वामपंथी और कांग्रेसी अदल-बदल कर कुंडली मारते हैं इसलिये यह प्रदेश "धर्मनिरपेक्षता की सुनामी" से हमेशा ही ग्रस्त रहा है। देश में कहीं भी धर्म-परिवर्तन का मामला सामने आये, उसमें केरल का कोई न कोई व्यक्ति शामिल मिलेगा, कश्मीर से लेकर असम तक हुए बम विस्फ़ोटो में भी केरल का कोई न कोई लिंक जरूर मिलता है। केरल से ही प्रेरणा लेकर अन्य कई राज्यों ने "अल्पसंख्यकों" (यानी सिर्फ़ मुस्लिम) के कल्याण(?) की कई योजनाएं चलाई हैं, केरल की ही तरह मुस्लिमों को OBC से छीनकर आरक्षण भी दिया है, हिन्दू मन्दिरों की सम्पत्ति पर कब्जा करने के लिये सरकारी ट्रस्टों और चमचों को छुट्टे सांड की तरह चरने के लिये छोड़ दिया है… आदि-आदि। यानी कि तात्पर्य यह कि "धर्मनिरपेक्षता" की गंगा केरल में ही सर्वाधिक बहती है और यहीं से इसकी प्रेरणा अन्य राज्यों को मिलती है।
अब केरल की सरकार के अजा-जजा/पिछड़ा वर्ग समाज कल्याण मंत्री एके बालन ने घोषणा की है कि धर्म परिवर्तन करने (यानी ईसाई बन जाने वालों) के ॠण माफ़ कर दिये जायेंगे। इस सरकारी योजना के तहत जिन लोगों ने 25,000 रुपये तक का ॠण लिया है, और उन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया है तो उनके ॠण माफ़ कर दिये जायेंगे। इस तरह से केरल सरकार पर सिर्फ़(?) 159 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा (यह कीमत वामपंथी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्तों के सामने कुछ भी नहीं है)।
संदेश स्पष्ट और साफ़ है कि "धर्म परिवर्तन करके ईसाई बन जाओ और मौज करो…, अपने धर्म से गद्दारी करने का जो ईनाम वामपंथी सरकार तुम्हें दे रही है, उसका शुक्रिया मनाओ…"।
http://beta.thehindu.com/news/states/kerala/article451983.ece
अब तक तो आप समझ ही गये होंगे कि "असली धर्मनिरपेक्षता" किसे कहते हैं? तो भविष्य में जब भी कोई "वामपंथी दोमुँहा" आपके सामने बड़े-बड़े सिद्धान्तों का उपदेश देता दिखाई दे, तब उसके फ़टे हुए मुँह पर यह लिंक मारिये। ठीक उसी तरह, जिस तरह नरेन्द्र मोदी ने "मौत का सौदागर" वाले बयान को सोनिया के मुँह पर गैस काण्ड के हत्यारों को बचाने और सिखों के नरसंहार के मामले को लेकर मारा है।
रही मीडिया की बात, तो आप लोग "भाण्ड-मिरासियों" से यह उम्मीद न करें कि वे "धर्मनिरपेक्षता" के इस नंगे खेल को उजागर करेंगे… ये हमें ही करना पड़ेगा, क्योंकि अब भाजपा भी बेशर्मी से इसी राह पर चल पड़ी है…। नरेन्द्र मोदी नाम का "मर्द" ही भाजपाईयों में कोई "संचार" फ़ूंके तो फ़ूंके, वरना इस देश को कांग्रेसी और वामपंथी मिलकर "धीमी मौत की नींद" सुलाकर ही मानेंगे…
बुद्धिजीवी(?) इसे धर्मनिरपेक्षता कहते हैं, मैं इसे "शर्मनिरपेक्षता" कहता हूं… और इसके जिम्मेदार भी हम हिन्दू ही हैं, जो कि "सहनशीलता, उदारता, सर्वधर्म समभाव…" जैसे नपुंसक बनाने वाले इंजेक्शन लेकर पैदा होते हैं।
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चित्र साभार - आउटलुक
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1) तृणमूल कांग्रेस स्टूडेण्ट यूनियन ने महिला शिक्षिका को बुरका पहनने पर मजबूर किया (वामपंथियों ने मौन समर्थन किया) -
कोलकाता की आलिया यूनिवर्सिटी में तृणमूल कांग्रेस स्टूडेंट यूनियन के हसन-उज-जमाँ नामक छात्र नेता ने वहाँ की एक बंगाली शिक्षिका श्रीमती शिरीन मिद्या को बुरका पहनकर कॉलेज आने के लिये धमकाया। जब श्रीमती मिद्या ने बुरका पहनने से मना कर दिया और वाइस चांसलर शम्सुल आलम और रजिस्ट्रार डॉ अनवर हुसैन से शिकायत की तो उन्होंने उस छात्रनेता पर कोई कार्रवाई करने से इंकार कर दिया। उलटे वाइस चांसलर ने उन्हें यूनिवर्सिटी न जाने की सलाह दे डाली। हिम्मती महिला श्रीमती मिद्या ने पश्चिम बंगाल के अल्पसंख्यक मंत्री अब्दुल सत्तार से शिकायत की, तो उन्होंने बदले में श्रीमती मिद्या का तबादला यूनिवर्सिटी से साल्ट लेक कैम्पस स्थित लाइब्रेरी में कर दिया। जब इस मामले में पत्रकारों ने रजिस्ट्रार से सम्पर्क किया तो उन्होंने कहा कि "वैसे तो आलिया यूनिवर्सिटी में कोई ड्रेस-कोड नहीं है, लेकिन चूंकि यह मदरसा सिस्टम पर आधारित है, इसलिये महिला शिक्षिकाओं को "शालीन परिधान" पहनना ही चाहिये…" (यानी रजिस्ट्रार "अनवर हुसैन" महोदय मानते हैं कि सिर्फ़ "बुरका" ही शालीन परिधान है…)। क्या आपने किसी महिला संगठन, महिला आयोग या किसी महिला नेत्री को एक महिला शिक्षिका पर हुई इस "ज्यादती" का विरोध करते सुना है? विरोध करने वाली महिला का तबादला किये जाने से यूनिवर्सिटी की बाकी महिलाओं को बुरका पहनाना आसान हो गया है, क्योंकि सभी में श्रीमती मिद्या जैसी हिम्मत नहीं होती। गिरिजा व्यास जी सुन रही हैं क्या?
असल में तृणमूल कांग्रेस ने फ़िलहाल वामपंथियों के "पिछवाड़े में हड़कम्प" मचा रखा है, इसलिये तृणमूल कांग्रेस के एक छात्रनेता को "धार्मिक" मामले (इसे मुस्लिम मामले पढ़ें) में हाथ लगाने की हिम्मत बंगाल के वामपंथी मंत्री की नहीं थी, ऊपर से विधानसभा चुनाव सिर पर आन खड़े हैं सो "धर्मनिरपेक्षता" बरकरार रखने की खातिर एक टीचर का ट्रांसफ़र कर भी दिया तो क्या? लेकिन क्या श्रीमती मिद्या का तबादला करके एक तरह से वामपंथियों ने "अघोषित फ़तवे" का समर्थन नहीं किया है? मुस्लिम वोटों की खातिर सदा हर जगह "लेटने" वाले वामपंथी उस समय सैद्धान्तिक रुप से बुरी तरह उखड़ जाते हैं जब "हिन्दुत्व" या "हिन्दू वोटों" की बात की जाती है…। यहाँ एक और बात नोट करने लायक है कि पश्चिम बंगाल के अधिकतर मुस्लिम बहुल शिक्षा संस्थानों में "गैर-मुस्लिम" शिक्षकों को स्वीकार नहीं किया जा रहा है, भले ही उनके पास आधिकारिक नियुक्ति पत्र (Appointment Letter) हो
2) दूसरी खबर वामपंथियों के एक और लाड़ले प्रदेश, जहाँ वे बारी-बारी से कांग्रेस के साथ अदला-बदली करके कुण्डली मारते हैं, उस केरल प्रदेश से -
चूंकि केरल में वामपंथी और कांग्रेसी अदल-बदल कर कुंडली मारते हैं इसलिये यह प्रदेश "धर्मनिरपेक्षता की सुनामी" से हमेशा ही ग्रस्त रहा है। देश में कहीं भी धर्म-परिवर्तन का मामला सामने आये, उसमें केरल का कोई न कोई व्यक्ति शामिल मिलेगा, कश्मीर से लेकर असम तक हुए बम विस्फ़ोटो में भी केरल का कोई न कोई लिंक जरूर मिलता है। केरल से ही प्रेरणा लेकर अन्य कई राज्यों ने "अल्पसंख्यकों" (यानी सिर्फ़ मुस्लिम) के कल्याण(?) की कई योजनाएं चलाई हैं, केरल की ही तरह मुस्लिमों को OBC से छीनकर आरक्षण भी दिया है, हिन्दू मन्दिरों की सम्पत्ति पर कब्जा करने के लिये सरकारी ट्रस्टों और चमचों को छुट्टे सांड की तरह चरने के लिये छोड़ दिया है… आदि-आदि। यानी कि तात्पर्य यह कि "धर्मनिरपेक्षता" की गंगा केरल में ही सर्वाधिक बहती है और यहीं से इसकी प्रेरणा अन्य राज्यों को मिलती है।
अब केरल की सरकार के अजा-जजा/पिछड़ा वर्ग समाज कल्याण मंत्री एके बालन ने घोषणा की है कि धर्म परिवर्तन करने (यानी ईसाई बन जाने वालों) के ॠण माफ़ कर दिये जायेंगे। इस सरकारी योजना के तहत जिन लोगों ने 25,000 रुपये तक का ॠण लिया है, और उन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया है तो उनके ॠण माफ़ कर दिये जायेंगे। इस तरह से केरल सरकार पर सिर्फ़(?) 159 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा (यह कीमत वामपंथी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्तों के सामने कुछ भी नहीं है)।
संदेश स्पष्ट और साफ़ है कि "धर्म परिवर्तन करके ईसाई बन जाओ और मौज करो…, अपने धर्म से गद्दारी करने का जो ईनाम वामपंथी सरकार तुम्हें दे रही है, उसका शुक्रिया मनाओ…"।
http://beta.thehindu.com/news/states/kerala/article451983.ece
अब तक तो आप समझ ही गये होंगे कि "असली धर्मनिरपेक्षता" किसे कहते हैं? तो भविष्य में जब भी कोई "वामपंथी दोमुँहा" आपके सामने बड़े-बड़े सिद्धान्तों का उपदेश देता दिखाई दे, तब उसके फ़टे हुए मुँह पर यह लिंक मारिये। ठीक उसी तरह, जिस तरह नरेन्द्र मोदी ने "मौत का सौदागर" वाले बयान को सोनिया के मुँह पर गैस काण्ड के हत्यारों को बचाने और सिखों के नरसंहार के मामले को लेकर मारा है।
रही मीडिया की बात, तो आप लोग "भाण्ड-मिरासियों" से यह उम्मीद न करें कि वे "धर्मनिरपेक्षता" के इस नंगे खेल को उजागर करेंगे… ये हमें ही करना पड़ेगा, क्योंकि अब भाजपा भी बेशर्मी से इसी राह पर चल पड़ी है…। नरेन्द्र मोदी नाम का "मर्द" ही भाजपाईयों में कोई "संचार" फ़ूंके तो फ़ूंके, वरना इस देश को कांग्रेसी और वामपंथी मिलकर "धीमी मौत की नींद" सुलाकर ही मानेंगे…
बुद्धिजीवी(?) इसे धर्मनिरपेक्षता कहते हैं, मैं इसे "शर्मनिरपेक्षता" कहता हूं… और इसके जिम्मेदार भी हम हिन्दू ही हैं, जो कि "सहनशीलता, उदारता, सर्वधर्म समभाव…" जैसे नपुंसक बनाने वाले इंजेक्शन लेकर पैदा होते हैं।
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चित्र साभार - आउटलुक
Communist Double Standards on Secularism, Alia University Shirin Midya, Fatwa on Burqua, West Bengal Elections, Trinamool and Communists, Kerala and Conversion to Christianity, Subsidy weavers to Converted Christians in Kerala, Loan Wavered Scheme for Christian Conversion , वामपंथी धर्मनिरपेक्षता सेकुलरिज़्म, आलिया यूनिवर्सिटी कोलकाता, बुरका और फ़तवा, पश्चिम बंगाल आम चुनाव, तृणमूल कॉंग्रेस और वामपंथी, केरल में धर्म परिवर्तन, धर्म परिवर्तित ईसाईयों के लोन माफ़, Blogging, Hindi Blogging, Hindi Blog and Hindi Typing, Hindi Blog History, Help for Hindi Blogging, Hindi Typing on Computers, Hindi Blog and Unicode
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