SBI Recruitment Procedure & Fees
काफ़ी वर्षों के बाद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने 20000 क्लर्कों की भर्ती के लिये विज्ञापन जारी किया है, जिसे भरने की आखिरी तारीख 31 मई है। इस बात में दो राय नहीं हो सकती कि एसबीआई इस समय मानव संसाधन की कमी की समस्या से जूझ रही है। चूंकि काफ़ी वर्षों तक कोई भर्ती नहीं की गई, काफ़ी सारे वरिष्ठ लोगों ने काम का बोझ बढ़ जाने और वीआरएस की आकर्षक शर्तों के कारण VRS (Voluntary Retirement Scheme) ले लिया, तथा बाकी के बचे-खुचे अधिकारी भी धीरे-धीरे रिटायरमेंट की कगार पर पहुँच चुके हैं। काम का बोझ तो निश्चित ही बढ़ा है, सरकार की सबसे मुख्य बैंक होने के कारण पेंशन, रोजगार, भत्ते, चालान, डीडी जैसे कई कामों ने क्लर्कों पर काम का बोझ बढ़ाया है जिनमें से अधिकतर उस आयु वर्ग में पहुँच चुके हैं, जहाँ एक तो काम करने की रफ़्तार कम होने लगती है और दूसरे नई तकनीक सीखने में हिचक और अनिच्छा भी आड़े आती है। ऐसे माहौल में युवाओं की भरती करने के लिये SBI ने एकमुश्त 20,000 क्लर्कों की भर्ती के लिये अभियान शुरु किया है। यहाँ तक तो सब कुछ ठीकठाक लगता है, लेकिन असली “पेंच” यहीं से शुरु होता है। यह बात तो अब सभी जान गये हैं कि बैंकें अब जनसुविधा या जनहित के काम कम से कम करने की कोशिशें कर रहे हैं, यदि करना भी पड़े तो उसमें तमाम किंतु-परन्तु-लेकिन की आपत्ति लगाकर करते हैं, वहीं वित्त मंत्रालय के निर्देशों के मुताबिक हरेक बैंक अपने-अपने विभिन्न शुल्क (Charges) लगाकर अपना अतिरिक्त “खर्चा” निकालने की जुगत में लगे रहते हैं। (इस बारे में पहले भी काफ़ी प्रकाशित हो चुका है कि किस तरह से बैंकें ATM Charges, Inter-Transaction Charges, DD Charges, Cheque Book per leaf charges, Late fees, Minimum Balance Fees जैसे अलग-अलग शुल्क लेकर काफ़ी माल बना लेती हैं)। ये तथाकथित शुल्क इतने कम होते हैं कि सामान्य व्यक्ति इसे या तो समझ ही नहीं पाता या फ़िर जानबूझकर कोई विरोध नहीं करता “कि इतना शुल्क कोई खास बात नहीं…”। यह ठीक लालू यादव जैसी नीति है, जिसमें उपभोक्ता को धीरे-धीरे और छोटे-छोटे शुल्क लगाकर लूटा जाता है। यह छोटे-छोटे और मामूली से लगने वाले शुल्क, ग्राहकों की संख्या बढ़ने पर एक खासी बड़ी रकम बन जाती है जो कि रेल्वे या बैंक के फ़ायदे में गिनी जाती है। हालांकि आम जनता इसमें कुछ खास नहीं कर सकती, क्योंकि उदारीकरण के बाद बैंकों को पूरी छूट दी गई है (निजी क्षेत्र के बैंकों को कुछ ज्यादा ही) कि वे ग्राहक को ATM, Core Banking, Internet Banking आदि के द्वारा बैंक शाखा से दूर ही रखने की कोशिश करें और इसे शानदार सुविधा बताकर इसका मनमाना (लेकिन मामूली सा लगने वाला) शुल्क वसूल लें। (हो सकता है कि कुछ दिनों बाद किसी बैंक शाखा में घुसते ही आपसे दस रुपये माँग लिये जायें, गद्देदार सोफ़े पर बैठने और एसी की हवा खाने के शुल्क के रूप में)

बात हो रही थी SBI की क्लर्क भर्ती अभियान की… रोजगार समाचार में छपे विज्ञापन के अनुसार बैंक (और अन्य बैंकों जैसे बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र, कार्पोरेशन बैंक, आंध्रा बैंक, इलाहाबाद बैंक आदि ने भी) ने क्लर्क की भर्ती के लिये न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 60% अंकों से 12वीं पास या 40% अंकों से किसी भी विषय में ग्रेजुएट रखी है। इसके लिये किसी भी CBS (Core Banking) शाखा में 250/- का चालान जमा करके इसे नेट से ऑनलाइन ही भरना है, उसमें भी पेंच यह कि प्रार्थी का ई-मेल आईडी होना आवश्यक है, वरना ऑनलाइन फ़ॉर्म भरा ही नहीं जायेगा (यह शर्त भी अजीबोगरीब है, ग्रामीण क्षेत्र के कई युवा उम्मीदवारों को ई-मेल आईडी क्या होता है यही नहीं मालूम)। यहाँ से मुख्य आपत्ति शुरु होती है… जब बैंक सारी प्रक्रिया ऑनलाइन करवा रहा है तो उसे शुल्क कम रखना चाहिये था, क्योंकि उनके स्टाफ़ के समय और ऊर्जा की काफ़ी बचत हो गई। एक मोटे अनुमान के अनुसार समूचे भारत से इन 20,000 पदों के लिये कम से कम 25 से 30 लाख लोग फ़ॉर्म भरेंगे (सिर्फ़ उज्जैन जैसे छोटे शहर से 3000 से 4000 फ़ॉर्म भरे जा चुके हैं)। एक समाचार के अनुसार दिनांक 23 मई तक एसबीआई के इस “भर्ती खाते” में अच्छी-खासी रकम एकत्रित हो चुकी थी, यानी कि 31 मई की अन्तिम तिथि तक करोड़ों रुपये एसबीआई की जेब में पहुँच चुके होंगे। हालांकि इस सारी प्रक्रिया में गैरकानूनी या अजूबा कुछ भी नहीं है, पहले भी भर्ती में यही शर्तें होती थीं। मेरा कहने का मुख्य पहलू यह है कि बढ़ती जनसंख्या, बढ़ती साक्षरता, बढ़ती अपेक्षाओं को देखते हुए एसबीआई को शुल्क कम से कम रखना चाहिये था। दूसरी मुख्य बात यह कि 12वीं की परीक्षा में शामिल होने वाले को भी फ़ॉर्म भरने की अनुमति है शर्त वही 60% वाली है, इसी प्रकार ग्रेजुएट परीक्षा में शामिल होने वाले को भी परीक्षा देने की छूट है, बशर्ते उसके कम से कम 40% हों। इसका सीधा सा अर्थ यही होता है कि कम से कम पाँच से दस प्रतिशत उम्मीदवार तो परीक्षा देने से पहले ही बाहर हो जायेंगे (जिनका रिजल्ट 31 मई के बाद आयेगा और जिन्हें 12वीं में 60% या ग्रेजुएट में 40%अंक नहीं मिलेंगे)।
अगला पेंच यह है कि कुल पाँच विषय हैं जिनमें 40% अंक लाना आवश्यक है तभी साक्षात्कार की प्रावीण्य सूची में स्थान मिलने की सम्भावना है, लेकिन विज्ञापन में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि पाँचों विषयों में कुल मिलाकर 40% लाना है या पाँचों विषयों में अलग-अलग 40% अंक लाना है। यह बैंक के “स्वत्व-अधिकार” क्षेत्र में है कि वह आगे क्या नीति अपनाता है। चलो मान भी लिया कि कम से कम 40% अंक पर ही अभ्यर्थी पास होगा, लेकिन जब M.Sc. वाले भी फ़ॉर्म भर रहे हैं, बेरोजगारी से त्रस्त B.E. और M.B.A. वाले भी बैंक में “क्लर्क” बनने के लिये लालायित हैं तब ऐसे में भला 12वीं पास या “appeared” वाले लाखों लड़कों का क्या होगा? इस कठिन परीक्षा में ये लोग कैसे मुकाबला करेंगे? यह तो खरगोश-कछुए या गधे-घोड़े को एक साथ दौड़ाने जैसा कार्य है। बैंक ने पहले ही साफ़ कर दिया है कि प्रकाशित पदों के तीन गुना उम्मीदवार ही साक्षात्कार के लिये प्रावीण्य सूची बनाकर बुलाये जायेंगे, अर्थात सिर्फ़ 60,000 युवाओं को इंटरव्यू के लिये बुलाया जायेगा। मान लो कि बीस लाख व्यक्ति भी फ़ॉर्म भर रहे हैं तो 19 लाख 40 हजार का बाहर होना तो तय है, ऐसे में एक दृष्टि से देखा जाये तो 12वीं पास वाले लाखों बच्चे तो ऐसे ही स्पर्धा से बाहर हो जायेंगे, तो उनके पैसे तो बर्बाद ही हुए, फ़िर ऐसी शर्तें रखने की क्या तुक है? या तो बैंक पहले ही साफ़ कर दे कि “क्लर्क” के पद के लिये पोस्ट ग्रेजुएट उम्मीदवार पर विचार नहीं किया जायेगा। सवाल यह है कि क्या इस प्रकार का “खुला भर्ती अभियान” कहीं बैंकों द्वारा पैसा बटोरने का साधन तो नहीं है? बेरोजगारों के साथ इस प्रकार के “छुप-छुप कर छलने” वाले विज्ञापन के बारे में कोई आपत्ति नहीं उठती आश्चर्य है!!!
विशेष टिप्पणी – खुद मैंने अपने सायबर कैफ़े से गत दस दिनों में लगभग 150 फ़ॉर्म भरे हैं, हालांकि मैंने कई 12वीं पास बच्चों को यह फ़ॉर्म न भरने की सलाह दी (जिन्हें मैं जानता हूँ कि वह गधा, बैंक की परीक्षा तो क्या 12वीं में भी पास नहीं होगा, लेकिन यदि कोई 250/- जानबूझकर कुँए में फ़ेंकना चाहता हो तो मैं क्या कर सकता हूँ) और यह 250/- तो शुरुआती बैंक चालान भर हैं, कई उत्साहीलाल तो बैंक की परीक्षा की तैयारी करने के लिये कोचिंग क्लास जाने का प्लान बना रहे हैं। कोचिंग वालों ने भी तीन महीने की 4000/- की फ़ीस को “एक महीने के बैंक परीक्षा क्रैश कोर्स” के नाम पर 2000/- झटकने की तैयारी कर ली है, वहाँ भी लम्बी लाइन लगी है। इसके बाद चूंकि उज्जैन में परीक्षा केन्द्र नहीं है इसलिये इन्दौर जाकर परीक्षा देने का खर्चा भी बाकी है…
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बात हो रही थी SBI की क्लर्क भर्ती अभियान की… रोजगार समाचार में छपे विज्ञापन के अनुसार बैंक (और अन्य बैंकों जैसे बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र, कार्पोरेशन बैंक, आंध्रा बैंक, इलाहाबाद बैंक आदि ने भी) ने क्लर्क की भर्ती के लिये न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 60% अंकों से 12वीं पास या 40% अंकों से किसी भी विषय में ग्रेजुएट रखी है। इसके लिये किसी भी CBS (Core Banking) शाखा में 250/- का चालान जमा करके इसे नेट से ऑनलाइन ही भरना है, उसमें भी पेंच यह कि प्रार्थी का ई-मेल आईडी होना आवश्यक है, वरना ऑनलाइन फ़ॉर्म भरा ही नहीं जायेगा (यह शर्त भी अजीबोगरीब है, ग्रामीण क्षेत्र के कई युवा उम्मीदवारों को ई-मेल आईडी क्या होता है यही नहीं मालूम)। यहाँ से मुख्य आपत्ति शुरु होती है… जब बैंक सारी प्रक्रिया ऑनलाइन करवा रहा है तो उसे शुल्क कम रखना चाहिये था, क्योंकि उनके स्टाफ़ के समय और ऊर्जा की काफ़ी बचत हो गई। एक मोटे अनुमान के अनुसार समूचे भारत से इन 20,000 पदों के लिये कम से कम 25 से 30 लाख लोग फ़ॉर्म भरेंगे (सिर्फ़ उज्जैन जैसे छोटे शहर से 3000 से 4000 फ़ॉर्म भरे जा चुके हैं)। एक समाचार के अनुसार दिनांक 23 मई तक एसबीआई के इस “भर्ती खाते” में अच्छी-खासी रकम एकत्रित हो चुकी थी, यानी कि 31 मई की अन्तिम तिथि तक करोड़ों रुपये एसबीआई की जेब में पहुँच चुके होंगे। हालांकि इस सारी प्रक्रिया में गैरकानूनी या अजूबा कुछ भी नहीं है, पहले भी भर्ती में यही शर्तें होती थीं। मेरा कहने का मुख्य पहलू यह है कि बढ़ती जनसंख्या, बढ़ती साक्षरता, बढ़ती अपेक्षाओं को देखते हुए एसबीआई को शुल्क कम से कम रखना चाहिये था। दूसरी मुख्य बात यह कि 12वीं की परीक्षा में शामिल होने वाले को भी फ़ॉर्म भरने की अनुमति है शर्त वही 60% वाली है, इसी प्रकार ग्रेजुएट परीक्षा में शामिल होने वाले को भी परीक्षा देने की छूट है, बशर्ते उसके कम से कम 40% हों। इसका सीधा सा अर्थ यही होता है कि कम से कम पाँच से दस प्रतिशत उम्मीदवार तो परीक्षा देने से पहले ही बाहर हो जायेंगे (जिनका रिजल्ट 31 मई के बाद आयेगा और जिन्हें 12वीं में 60% या ग्रेजुएट में 40%अंक नहीं मिलेंगे)।
अगला पेंच यह है कि कुल पाँच विषय हैं जिनमें 40% अंक लाना आवश्यक है तभी साक्षात्कार की प्रावीण्य सूची में स्थान मिलने की सम्भावना है, लेकिन विज्ञापन में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि पाँचों विषयों में कुल मिलाकर 40% लाना है या पाँचों विषयों में अलग-अलग 40% अंक लाना है। यह बैंक के “स्वत्व-अधिकार” क्षेत्र में है कि वह आगे क्या नीति अपनाता है। चलो मान भी लिया कि कम से कम 40% अंक पर ही अभ्यर्थी पास होगा, लेकिन जब M.Sc. वाले भी फ़ॉर्म भर रहे हैं, बेरोजगारी से त्रस्त B.E. और M.B.A. वाले भी बैंक में “क्लर्क” बनने के लिये लालायित हैं तब ऐसे में भला 12वीं पास या “appeared” वाले लाखों लड़कों का क्या होगा? इस कठिन परीक्षा में ये लोग कैसे मुकाबला करेंगे? यह तो खरगोश-कछुए या गधे-घोड़े को एक साथ दौड़ाने जैसा कार्य है। बैंक ने पहले ही साफ़ कर दिया है कि प्रकाशित पदों के तीन गुना उम्मीदवार ही साक्षात्कार के लिये प्रावीण्य सूची बनाकर बुलाये जायेंगे, अर्थात सिर्फ़ 60,000 युवाओं को इंटरव्यू के लिये बुलाया जायेगा। मान लो कि बीस लाख व्यक्ति भी फ़ॉर्म भर रहे हैं तो 19 लाख 40 हजार का बाहर होना तो तय है, ऐसे में एक दृष्टि से देखा जाये तो 12वीं पास वाले लाखों बच्चे तो ऐसे ही स्पर्धा से बाहर हो जायेंगे, तो उनके पैसे तो बर्बाद ही हुए, फ़िर ऐसी शर्तें रखने की क्या तुक है? या तो बैंक पहले ही साफ़ कर दे कि “क्लर्क” के पद के लिये पोस्ट ग्रेजुएट उम्मीदवार पर विचार नहीं किया जायेगा। सवाल यह है कि क्या इस प्रकार का “खुला भर्ती अभियान” कहीं बैंकों द्वारा पैसा बटोरने का साधन तो नहीं है? बेरोजगारों के साथ इस प्रकार के “छुप-छुप कर छलने” वाले विज्ञापन के बारे में कोई आपत्ति नहीं उठती आश्चर्य है!!!
विशेष टिप्पणी – खुद मैंने अपने सायबर कैफ़े से गत दस दिनों में लगभग 150 फ़ॉर्म भरे हैं, हालांकि मैंने कई 12वीं पास बच्चों को यह फ़ॉर्म न भरने की सलाह दी (जिन्हें मैं जानता हूँ कि वह गधा, बैंक की परीक्षा तो क्या 12वीं में भी पास नहीं होगा, लेकिन यदि कोई 250/- जानबूझकर कुँए में फ़ेंकना चाहता हो तो मैं क्या कर सकता हूँ) और यह 250/- तो शुरुआती बैंक चालान भर हैं, कई उत्साहीलाल तो बैंक की परीक्षा की तैयारी करने के लिये कोचिंग क्लास जाने का प्लान बना रहे हैं। कोचिंग वालों ने भी तीन महीने की 4000/- की फ़ीस को “एक महीने के बैंक परीक्षा क्रैश कोर्स” के नाम पर 2000/- झटकने की तैयारी कर ली है, वहाँ भी लम्बी लाइन लगी है। इसके बाद चूंकि उज्जैन में परीक्षा केन्द्र नहीं है इसलिये इन्दौर जाकर परीक्षा देने का खर्चा भी बाकी है…
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