प्राचीनकाल से ही भारतीय महिलाओं में “बचत” को लेकर एक जिम्मेदारी का अहसास सदैव ही रहा है. यदि महिला नौकरी अथवा व्यवसाय नहीं भी करती हो, तब भी पति द्वारा प्रतिमाह घरखर्च के लिए दिए जाने वाले रुपयों में से वह अपनी चतुराई और अर्थ प्रबंधन से कुछ न कुछ रूपए बचा ही लेती है. यही बचाए हुए रूपए किसी भी आकस्मिक अथवा आपातकालीन समय में अंततः परिवार के ही काम आते हैं, उस महिला के निजी उपयोग के लिए कम ही मिलते हैं.
पूरे विश्व में “स्व-सहायता समूह” की अवधारणा तेजी से आगे बढ़ रही है. शहरी उच्चवर्गीय महिलाओं की बात छोड़ दें, जो कि प्रतिमाह रूपए बचाने के लिए नहीं बल्कि खर्च करने के लिए “बीसी” अथवा “किटी क्लब” जैसी संस्कृति अपनाए हुए हैं, परन्तु अर्ध-ग्रामीण एवं पूर्ण ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं एवं उनके परिवारों को आर्थिक स्थिति से उबारने में “स्व-सहायता समूहों” की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है. इसे हम एक “आपसी विश्वास बैंकिंग” भी कह सकते हैं, और मजे की बात यह है कि महिलाओं के बीच ही यह अवधारणा अधिक सफल है. भारत के विभिन्न राज्यों में चल रहे सैकड़ों स्व-सहायता समूहों (जिसे लेख में आगे हम SHG – Self Help Group के नाम से जानेंगे) ने हजारों महिलाओं के जीवन में, उनके रोजमर्रा के दैनंदिन उपयोग में, उनके परिवारों को मुसीबत से उबारने में बड़ी भूमिका निभाई है, और लगातार निभा रहे हैं.
स्व-सहायता समूहों को NGO के रूप में पंजीकृत किया जाता है. इस सिस्टम में कुछ “आपसी परिचित” महिलाएँ मिलकर एक छोटा सा समूह बनाती हैं और ये सभी महिलाएँ प्रतिमाह कुछ एक छोटी सी राशि जमा करती हैं. ज़ाहिर है कि इसमें कोई स्थापित राष्ट्रीय बैंक भी जमाकर्ता के रूप में शामिल होता है. जब यह छोटी-छोटी राशि एकत्रित होकर एक ठीकठाक राशि बन जाती है, उस समय इस समूह की किसी भी महिला को यदि किसी भी कार्य के लिए रुपयों की आवश्यकता होती है, तब यह समूह उस महिला को नाममात्र ब्याज पर ऋण दिया जाता है, ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके, व्यवसाय कर सके... अथवा किसी विषम आर्थिक परिस्थिति से बाहर निकल सके.
कुल मिलाकर बात ये है कि SHG समूह न केवल छोटी-छोटी बचत करते हुए अपना बैंक बैलेंस बढ़ाते हैं, बल्कि अपने सदस्यों की मदद भी करते हैं. आज की तारीख में देश में ऐसे कई स्व-सहायता समूह हैं, जिनकी सदस्य संख्या हजारों महिलाएँ तथा टर्नओवर करोड़ों रूपए में भी पहुँच चुका है. ऐसे में सबसे बड़ी परेशानी आती है अकाउंट्स (यानी लेखाजोखा, बहीखाता) का प्रबंधन करने की. क्योंकि अधिकाँश स्व-सहायता समूह छोटे और मझोले आकार के हैं, जो कि रुपयों के लेन-देन, ब्याज की गणना, मासिक किश्तों का हिसाब इत्यादि सुचारू रखने के लिए महँगे अकाउंटेंट्स की सेवाएं नहीं ले सकते. यह सारा काम बेहद उलझन भरा होता है, जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में कम पढ़ी-लिखी महिलाएँ नहीं कर सकतीं...
ऐसे ही स्व-सहायता समूहों की मदद के लिए अब आ गया है एक बेहद सरल, आकर्षक एवं आर्थिक मामलों का मददगार मोबाईल एप्प, जिसका नाम है “सहभागी”. इस एप्प के द्वारा बड़े ही पारदर्शी तरीके से समूह का संचालन किया जा सकता है. इस मोबाईल एप्प के जरिये समूह की बचत एवं सदस्यों की आर्थिक गतिविधियों को सरलता से संचालित किया जा सकता है.
“सहभागी” मोबाईल एप्प में कुछ समूह नियंत्रक मिलकर अपना एक स्व-सहायता समूह बना सकते हैं, इसी एप्प के जरिये वे बड़ी ही सरलता के साथ सदस्यों द्वारा लिए गए ऋण के ब्याज की गणना, यदि किसी ने मासिक किश्त नहीं भरी है, तो उस पर की जाने वाली पेनाल्टी की गणना, सदस्यों को मासिक किश्त भरे जाने की अंतिम तिथि की SMS द्वारा अग्रिम सूचना देने... जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य एक चुटकी में, एक क्लिक में ही कर सकते हैं.
(इस मोबाईल एप्प को बड़ी ही सरलता से इस वीडियो में संक्षिप्त रूप से समझाया गया है... इस लिंक पर क्लिक करें)
“सहभागी” एप्प को इतना सरल बनाया गया है कि एक सामान्य व्हाट्स एप्प समूह चलाने वाली सामान्य महिला भी इसे बड़ी आसानी से चला सकती है और अपने पूरे समूह का हिसाब-किताब सटीक तौर पर रख सकती है. इस मोबाईल एप्प में निम्नलिखित सुविधाओं का समावेश है –
- समूह बनाना
- आरम्भ करने की दिनांक
- मासिक सहभागिता की राशि
- किश्त समय पर नहीं भरने पर ऑटोमेटिक दण्ड
- ब्याज की गणना करना
- ब्याज समय पर नहीं भरने पर दण्ड की राशि
- स्व-सहायता समूह के नियम और शर्तें
इन सुविधाओं के अलावा किसी सदस्य को ऋण चाहिए हो, तो उसका आवेदन भी एप्प के माध्यम से ही हो जाएगा... उस ऋण की किश्तें कितनी बनेंगी और उन किश्तों का प्रबंधन कैसे होगा यह भी इस एप्प के माध्यम से हो जाएगा. सदस्यों के निजी ऋणों एवं मासिक सहभागिता के अलावा, समूह के अन्य खर्चों पर निगाह रखने के लिए इस एप्प में अलग से व्यवस्था भी है, तथा वर्ष के अंत में स्व-सहायता समूह को कितना लाभ हुआ... या कितनी हानि हुई... किस सदस्य की कितनी किश्तें बची हैं... किस सदस्य की मासिक सहयोग बाकी है... इसकी पूरी की पूरी बैलेंस शीट एक क्लिक में समूह एडमिन के सामने हाजिर.
अब सोचिये... अकाउंटिंग एवं बहीखाता संबंधी इतने सारे काम यह मोबाईल एप्प एक क्लिक में ही कर डालता है और चलाने में भी बेहद सरल है, तो भला ऐसे में देश भर के विभिन्न स्व-सहायता समूह की महिलाएँ इस एप्प का उपयोग क्यों न करें...
यदि आप भी अपने मित्रों, अपने रिश्तेदारों, पड़ोसियों के साथ मिलकर ऐसे ही किसी बड़े बीसी समूह, अथवा किसी बड़ी किटी पार्टी, अथवा किसी गैर-लाभकारी सामाजिक बैंकिंग संस्था अथवा स्व-सहायता समूह का गठन करना चाहते हों, तो उसके आर्थिक प्रबंधन एवं दैनंदिन व्यवस्थापन के लिए इस मोबाईल एप्प से बेहतर कोई एप्प हो ही नहीं सकता...
गूगल के प्ले स्टोर अथवा एप्पल के आई-ट्यून दोनों ही प्लेटफार्मों पर यह एप्प उपलब्ध है. “सहभागी” डाउनलोड करें... और अपने वित्तीय समूह की तमाम झंझटों से मुक्ति पाएं... बचत करें, बचत करने के लिए प्रेरित करें... छोटे ऋणों के सहारे मित्रों (सहेलियों) की मदद करें और राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग दें.