उम्मीद है कि रॉन वॉट्स दम्पति को भारत रत्न मिलकर रहेगा… ... Ron Watts, Conversion Adventist Church

Written by बुधवार, 02 जून 2010 14:31
हम अशिक्षित और संस्कृतिविहीन किस्म के भारतवासियों विशेषकर हिन्दुओं को श्री रॉन वॉट्स तथा श्रीमती डोरोथी वॉट्स का तहेदिल से शुक्रगुज़ार होना चाहिये कि उन्होंने भारत में आकर ईसाई धर्म का प्रचार करने की ज़हमत उठाई और अपने काम को बड़ी लगन और मेहनत से सफ़लता की ऊँचाई पर ले जा रहे हैं। कहीं ऐसा न हो कि उन्हें भारत रत्न मिले और आप उल्लू की तरह पूछते फ़िरें कि ये कौन हैं? और इन्हें भारत रत्न क्यों दिया गया?, इसलिये मेरा फ़र्ज़ बनता है कि आपको इनके बारे में बताऊं…

कनाडा निवासी वॉट्स दम्पति “सेवेन्थ-डे एडवेंटिस्ट चर्च” के दक्षिण एशिया प्रभारी हैं। 1997 में जिस समय इन्होंने इस चर्च के दक्षिण एशिया का प्रभार संभाला, उस समय 103 वर्षों के कार्यकाल में भारत में इसके सदस्यों की संख्या दो लाख पच्चीस हजार ही थी। लेकिन सिर्फ़ 5 साल में अर्थात 2002 तक ही वॉट्स दम्पति ने भारत में इसके सदस्यों की संख्या 7 लाख तक पहुँचा दी (है ना कमाल का काम!!!)। इन्होंने गरीब भारतीयों के लिये इतना जबरदस्त काम किया, कि सिर्फ़ एक दिन में ही ओंगोल (आंध्रप्रदेश) में 15018 लोगों ने धर्म परिवर्तन करके ईसाई धर्म अपना लिया।

http://www.adventistreview.org/2001-1506/news.html

और

http://www.adventistreview.org/2004-1533/news.html

वॉट्स दम्पति का लक्ष्य 10,000 चर्चों के निर्माण का है, और जल्द ही वे इस जादुई आँकड़े को छूने वाले हैं तथा उस समय एक भव्य विजय दिवस मनाया जायेगा। असल में इस महान काम में देरी सिर्फ़ इसलिये हुई, क्योंकि इनके सबसे बड़े मददगार और “हमारी महारानी” के खासुलखास व्यक्ति, अर्थात “भारत रत्न” एक और दावेदार सेमुअल रेड्डी की हवाई दुर्घटना में मौत हो गई। फ़िर भी वॉट्स दम्पति को पाँच राज्यों के ईसाई मुख्यमंत्रियों का पूरा समर्थन हासिल है और वे अपना परोपकार कार्य निरन्तर जारी रखे हैं। इनकी मदद के लिये अमेरिका स्थित मारान्था वॉलंटियर्स भी हैं जिन्होंने भारत में दो साल में 750 चर्च बनाने तथा ओरेगॉन स्थित फ़ार्ली परिवार, जिन्होंने एक चर्च प्रतिदिन के हिसाब से 1000 चर्च बनाने का संकल्प लिया है। इनका यह महान कार्य(?) जल्द ही पूरा होगा, साथ ही भारत में इनकी स्थानीय मदद के लिये इनके कब्जे वाला 80% बिकाऊ मीडिया और हजारों असली-नकली NGOs भी हैं।

श्री एवं श्रीमती वॉट्स की मेहनत और “राष्ट्रीय कार्य” का फ़ल उन्हें दिखाई भी देने लगा है, क्योंकि उत्तर-पूर्व के राज्यों मिजोरम, नागालैण्ड और मणिपुर में पिछले 25 वर्षों में ईसाई जनसंख्या में 200% का अभूतपूर्व उछाल आया है। त्रिपुरा जैसे प्रदेश में जहाँ आज़ादी के समय एक भी ईसाई नहीं था, 60 साल में एक लाख बीस हजार हो गये हैं, (हालांकि त्रिपुरा में कई सालों से वामपंथी शासन है, लेकिन इससे चर्च की गतिविधि पर कोई फ़र्क नहीं पड़ता, क्योंकि वामपंथियों के अनुसार सिर्फ़ “हिन्दू धर्म” ही दुश्मनी रखने योग्य है, बाकी के धर्म तो उनके परम दोस्त हैं) इसी प्रकार अरुणाचल प्रदेश में सन् 1961 की जनगणना में सिर्फ़ 1710 ईसाई थे जो अब बढ़कर एक लाख के आसपास हो गये हैं तथा चर्चों की संख्या भी 780 हो गई है।

एक दृष्टि रॉन (रोनॉल्ड) वॉट्स साहब के सम्पर्कों पर भी डाल लें, ताकि आपको विश्वास हो जाये कि आपका “भविष्य” एकदम सही हाथों में है…

1) रॉन वाट्स के खिलाफ़ बिजनेस वीज़ा पर अवैध रूप से भारत में दिन गुजारने और कलेक्टर द्वारा देश निकाला दिये जाने के बावजूद जबरन भारत में टिके रहने के आरोप हैं, लेकिन उन्हें भारत से कौन निकाल सकता है, जब “महारानी” जी से उनके घरेलू सम्बन्ध हों… क्या कहा… विश्वास नहीं होता? खुद ही पढ़ लीजिये…

http://www.scribd.com/doc/983197/RON-WATTS-AND-SONIA-GANDHI-OPERATE-TOGETHER

2) रॉन वॉट्स साहब को ऐरा-गैरा न समझ लीजियेगा, इनकी पहुँच सीधे चिदम्बरम साहब के घर तक भी है… चिदम्बरम साहब की श्रीमती नलिनी चिदम्बरम, रॉन वॉट्स की वकील हैं, अब ऐसे में चिदम्बरम साहब की क्या हिम्मत है कि वे वॉट्स को देशनिकाला दें। ज्यादा क्या बताऊँ… आप खुद ही इनके रिश्तों के बारे में पढ़ लीजिये…

http://www.hvk.org/articles/0605/12.html

3) इन साहब की कार्यपद्धति के बारे में विस्तार से जानने के लिये यहाँ देखें…

http://www.organiser.org/dynamic/modules.php?name=Content&pa=showpage&pid=184&page=5

तात्पर्य यह कि समस्त भारतवासियों को वॉट्स दम्पति का शुक्रगुज़ार होना चाहिये कि उन्होंने हजारों लोगों को “सभ्य” बनाया, वरना वे खामख्वाह हिन्दुत्व जैसे बर्बर और असभ्य धर्म में फ़ँसे रहते। इसलिये मैं “महारानी” से अनुशंसा करता हूं कि वॉट्स दम्पति द्वारा भारत के प्रति इस “अतुलनीय योगदान” के लिये इन्हें शीघ्रातिशीघ्र “भारत रत्न” प्रदान करे।

आप क्या सोचते हैं, क्या इन्हें भारत रत्न मिल पायेगा? मुझे तो पूरा विश्वास है कि कांग्रेसियों की “इटली वाली महारानी” इस पर अवश्य विचार करेंगी, आखिर पहले भी ग्राहम स्टेंस की विधवा को हमने उनके “भारत के प्रति अतुलनीय योगदान” के लिये पद्म पुरस्कार दिया ही था।

वैसे तो “अतिथि देवो भवः” की परम्परा भारतवर्ष में कायम रहे इसलिये अफ़ज़ल गुरु, कसाब, क्वात्रोची, वॉरेन एण्डरसन, रॉन वॉट्स जैसे लोगों की “सेवा” में कांग्रेस सतत समर्पित कार्य करती ही है, फ़िर भी मैं तमाम सेकुलरों, कांग्रेसियों, वामपंथियों और बचे-खुचे बिकाऊ बुद्धिजीवियों से भी आग्रह करता हूं कि वे भी अपनी तरफ़ से इस कर्मठ कार्यकर्ता को भारत रत्न दिलवाने हेतु पूरा ज़ोर लगायें, कहीं ऐसा न हो कि हमारी मेहमाननवाज़ी में कोई कमी रह जाये…


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