शर्मनाक बयान, दुविधाग्रस्त भाजपा एवं “वोट बैंक की ताकत” के मायने… North Indian Vote Bank, Raj Thakrey, Raj Purohit

Written by सोमवार, 09 मई 2011 16:48
कुछ दिनों पहले मुम्बई की गलियों में पानी-पुरी का ठेला लगाने वाले द्वारा लोटे में पेशाब करने एवं उसी लोटे से ग्राहकों को पानी पिलाने सम्बन्धी पोस्ट लिखी थी, जिसमें मुम्बई की एक जागरूक एवं बहादुर लड़की अंकिता राणे द्वारा की गई “नागरिक पत्रकार” की भूमिका का उल्लेख किया गया था, अंकिता ने उस पानीपुरी वाले को लोटे में पेशाब करते हुए वीडियो में पकड़ा था… (Ankita Rane Mumbai Pani-puri Case)। अंकिता राणे की इस कार्रवाई ने जहाँ एक ओर मुम्बई महानगरपालिका के सफ़ाई एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को जनता के कटघरे में खड़ा कर दिया था, वहीं दूसरी तरफ़ राज ठाकरे जैसे नेताओं को उनके “पसन्दीदा”(?) मुद्दे अर्थात “उत्तर भारतीयों को खदेड़ो” पर फ़िर से तलवार भांजने का मौका भी दे दिया था।

अब जबकि राज ठाकरे ने ठेले-गुमटियाँ लगाने वाले उत्तर भारतीयों को “साफ़-सफ़ाई” के नाम पर खदेड़ना शुरु किया तो भला मुम्बई के भाजपा अध्यक्ष राज पुरोहित इस “खेल” में कैसे पीछे रहते? राज ठाकरे को “मात” देने और उत्तर भारतीयों को खुश करने की गरज से एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता राज पुरोहित ने अपनी “राजनीति चमकाने” के लालच में एक ऐसा बयान दे डाला, जो उनके गले की फ़ाँस बन गया…


जिस लड़की अंकिता राणे की वजह से सड़कों पर लगने वाले ठेलों की साफ़सफ़ाई व्यवस्था की ओर जनता का ध्यान आकर्षित हुआ, लोगों ने उस लड़की की दाद दी, महानगरपालिका ने उसे ईनाम दिया… उस लड़की की तारीफ़ करना तो दूर रहा, राज पुरोहित साहब ने “वोट बैंक” की तरफ़दारी करने की भद्दी कोशिश करते हुए उस 17 वर्षीय कन्या के चरित्र पर ही छींटे उड़ाना शुरु कर दिया…। मुम्बई के आजाद मैदान में उत्तर भारतीय फ़ेरीवालों की एक आमसभा में “अपनी बुद्धि का प्रदर्शन करते” हुए भाजपा नेता पुरोहित ने कहा – “कोई भी लड़की, किसी आदमी को पेशाब करते हुए देख नहीं सकती… रेडलाइट एरिया की “बाईयाँ” भी पुरुष को पेशाब करते हुए नहीं देख सकती… लेकिन इस लड़की ने न सिर्फ़ इस पानीपुरी वाले को पेशाब करते हुए लगातार देखा, बल्कि उसका वीडियो भी बना डाला, इससे पता चलता है कि लड़की कितने “गिरे हुए चरित्र” की है…यह लड़की पूरी तरह से बेशर्म है…, और यह घटना फ़ेरीवालों एवं उत्तर भारतीयों के खिलाफ़ षडयंत्र है…”


इस मूर्खतापूर्ण एवं बेहद घटिया बयान के बाद मुम्बई के महिला संगठनों ने राज पुरोहित के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया। विभिन्न रहवासी संघ के जागरुक नागरिकों ने भाजपा के इस नेता को गिरफ़्तार करने की माँग भी कर डाली। मौका हाथ आया था, सो लगे हाथों राज ठाकरे ने भी पुरोहित पर जोरदार शाब्दिक हमला कर डाला…। जब मामला बहुत बिगड़ गया और शायद भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा राज पुरोहित को “शुद्ध हिन्दी में समझाइश” दी गई होगी, तब स्थानीय चैनल पर बोलते हुए पुरोहित ने वही कहा जो अक्सर जूते खाने के बाद नेता कहते आये हैं यानी, “मेरे बयान का मतलब किसी को ठेस पहुँचाना नहीं था, मेरे बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया है, मैं अंकिता राणे से लिखित में माफ़ी माँगने को तैयार हूँ… आदि-आदि-आदि…"। फ़िलहाल तो अंकिता राणे ने राज पुरोहित के खिलाफ़ 1 करोड़ का मानहानि का दावा पेश कर दिया है एवं कई स्वतंत्र युवा संगठनों ने माँग की है कि राज पुरोहित को उसी पेशाब वाले लोटे से पानीपुरी खिलाई जाये…
(चित्र : विरोध प्रदर्शन के दौरान अंकिता राणे -बीच में)

मुम्बई में “अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने” में भाजपा हमेशा से अग्रणी रही है, पहले तो वह शिवसेना की पिछलग्गू बनी रही, कभी भी “राष्ट्रीय पार्टी” नहीं दिखाई दी, जब-तब बाल ठाकरे के धमकाने पर राजनैतिक समझौते किये। अब जबकि शिवसेना कमजोर पड़ती जा रही है और राज ठाकरे ज़मीनी स्तर पर मजबूत हो रहे हैं तो उन्हें “अपने पाले” में लाने और राज्य में पकड़ मजबूत बनाने की बजाय, उटपटांग बयानबाजी करके उससे मुकाबला करने के मंसूबे बना रहे हैं…। जबकि अन्त-पन्त होगा यही कि “खून, खून को पुकारेगा…” और भविष्य में शिवसेना-मनसे का विलय हो जाएगा, तब भाजपा न घर की रहेगी न घाट की। कुछ समय पहले राज ठाकरे को, मुम्बई भाजपा ने अपने दफ़्तर में आमंत्रित किया था और चाय पार्टी दी थी। इनके बीच कोई खिचड़ी पकती, इससे पहले ही बाल ठाकरे ने “सामना” में भाजपा को गठबंधन धर्म की याद दिलाते हुए शिवसेना स्टाइल में लिख मारा कि “एक के नाम का मंगलसूत्र गले में हो तो दूसरे से चूमाचाटी नहीं चलेगी…”, और भाजपा वापस दुम दबाकर चुप बैठ गई। फ़िर यह पानीपुरी वाला मामला सामने आया, तो भाजपा को लगा कि राज ठाकरे उत्तर भारतीय फ़ेरीवालों की ठुकाई कर रहे हैं… चलो इस वोट बैंक को लपक लिया जाए… परन्तु यहाँ भी राज पुरोहित के मुखारविंद से निकले बोलों ने उसका खेल बिगाड़ दिया।

खैर इस प्रकरण ने एक बात साफ़ कर दी है कि यदि कोई समूह अपना मजबूत “वोट बैंक” बनाता है तो उसे खुश करने और उनके वोट लेने के लिये नेता नामक प्रजाति “कुछ भी” करने, "किसी भी हद तक गिरने" को तैयार रहती है। मुम्बई में उत्तर भारतीयों का खासा बड़ा वोट बैंक है और उसे खुश करने के चक्कर में एक मासूम लड़की के चरित्र पर शंका तक ज़ाहिर कर दी गई, यदि मुम्बई के नागरिक और महिला संगठन जागरुक नहीं होते और वक्त पर आवाज़ न उठाते, तो उस बहादुर लड़की को बेहद मानसिक संताप झेलना पड़ता…।
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