जब इतिहास को सतत विकृत (Distorted History) करके पेश किया जाता है, और पाठ्यक्रमों तथा लोक जनश्रुतियों से सच्चा इतिहास धीरे-धीरे गायब होने लगता है तब ऐसे-ऐसे सामाजिक विकार पैदा हो जाते हैं कि बयान नहीं किया जा सकता, और ऐसा अक्सर केवल हिन्दुओं के साथ ही होता है, क्योंकि अव्वल तो सही इतिहास जानने के बारे में हमारी रूचि कम है, और ऊपर से वामपंथ पोषित संस्थाओं (Fake Historians) तथा “सेकुलरिज्म नामक एड्स की बीमारी” ने हिन्दू मानस को इतना बोदा, बेवकूफ और सुस्त बना दिया है कि सामने वाला जो भी इतिहास कहता है उस पर हम सहज विश्वास कर लेते हैं.

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