1963 या 1964 की बात है - कलकत्ता में मेरे नाना जी ने मुझे ट्रेनिंग देने के मकसद से छोटे मोटे हिसाब रखने की जिम्मेदारी दे रखी थी| पेट्रोल पम्प पर एकाउंट था और गाड़ी में पेट्रोल भरने के बाद उनके दस्तख़त की हुई पर्ची पर तारीख और पेट्रोल की मात्रा लिख कर मैं देता था|