उधर कल एक और घटना में बेल्जियम के एंटवर्प (हीरों की नगरी) में अफ्रीकी मूल के राशिद मोहम्मद ने अपनी कार को भीड़ भरे फुटपाथ पर चलने वाले लोगों पर चढ़ा दी, लेकिन चूंकि यहाँ लोग सतर्क थे, इसलिए उन्होंने कूदकर अपनी जान बचा ली. बेल्जियन पुलिस ने मोहम्मद को पकड़ लिया है और उसकी कार से एक बड़ा चाकू बरामद किया है. यह आतंकी हमला असफल रहा, और इसमें कोई घायल भी नहीं हुआ. फ्रांस में भीड़ पर ट्रक चढ़ाने जैसी घटनाओं से अब यह साफ़ हो गया है कि ISIS के आतंकियों ने अपनी रणनीति बदल ली है, वे यूरोप में इस प्रकार के छोटे-छोटे हमले करके आतंक फैलाना चाह रहे हैं और फिलहाल सफल भी हैं. बर्मिंघम में रहने वाले लन्दन के आतंकी खालिद मसूद को गिरफ्तार कर लिया गया है. जैसा कि सभी जानते हैं बर्मिंघम इलाका पाकिस्तानी मूल के लोगों से भरा पड़ा है और इस इलाके में दर्जनों मस्जिदें रातोंरात उग आई हैं.
बीबीसी अक्सर भारत की आतंकी घटनाओं को “चरमपंथियों” द्वारा की गई मामूली घटना बताता है और अक्सर इसे कश्मीर से जोड़ देता है. कट्टर इस्लाम की तरफ की तरफ पिछवाड़ा करके अपना मुंह रेत में गड़ाए हुए शतुरमुर्ग केवल भारत में नहीं पाए जाते, यूरोप में इनकी संख्या बहुत ज्यादा है. बहरहाल, भारत को सेकुलरिज्म के उपदेश देने वाला यूरोप, अब सीरिया-तुर्की-ईराक के शरणार्थियों(?? ह ह ह ह) को शरण देने की सजा भुगतेगा. स्वीडन की राजधानी बड़ी जल्दी “रेप कैपिटल” के रूप में प्रसिद्ध होने लगी है. जब तक तथाकथित बुद्धिजीवी और वामपंथी इस बात को स्पष्ट रूप से नहीं मानेंगे कि इस्लामी कट्टरवाद दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा है और इस खतरे को बैलेंस करने के लिए खामख्वाह हिन्दुओं अथवा इजराईल के यहूदियों को दोषी ठहराते रहेंगे, यह घटनाएँ और बढ़ती ही रहेंगी.... क्योंकि वास्तविक बात यही है कि सेकुलरिज्म हो या वामपंथ दोनों में ही सच्चाई से आँख मिलाने की हिम्मत नहीं है, इसीलिए वे प्रत्येक आतंकी हमले के बाद शब्दों की जलेबी बनाते रहते हैं ताकि अगला हमला झेल सकें.