वित्त मंत्रालय का वरिष्ठ अधिकारी फँसा “हनी ट्रैप” में

Written by बुधवार, 14 मार्च 2018 08:34

प्राप्त ख़बरों के अनुसार वित्त मंत्रालय (Finance Ministry of India) में Joint Secretary (संयुक्त सचिव) जैसा बड़े स्तर का एक अधिकारी हाल ही में फ्रांस के पेरिस (Paris) में एक “हनी ट्रैप” (Honey Trap) में फँसा हुआ पाया गया.

महत्त्वपूर्ण बात ये है कि ये अधिकारी महोदय विदेश से काले धन को लाने वाले विशेष दस्ते (SIT) में शामिल हैं. फ्रांस की ख़ुफ़िया एजेंसियों ने वित्त मंत्रालय के इस अधिकारी की रंगरेलियों पर काफी देर तक निगाह बनाए रखी, बाकायदा सबूत एकत्रित किए, इनकी वीडियो सीडी बनाई गईं और भारत में ख़ुफ़िया एजेंसियों को सौंपी गई. ये अधिकारी हैं उदय सिंह कुमावत, बड़े शक्तिशाली माने जाते हैं.

कुमावत साहब को एक आधिकारिक मीटिंग के लिए भारत सरकार की तरफ से (FATF) यानी फाईनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की एक महत्त्वपूर्ण बैठक में भाग लेने के लिए फ्रांस भेजा गया था. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की यह बैठक पेरिस में 18 से 23 फरवरी के बीच होने वाली थी. लेकिन दिल्ली से सीधे फ्रांस पहुँचने से की बजाय ये साहब बेल्जियम का “टूरिस्ट वीज़ा” बनाने की जुगाड़ में लग गए. असल में भारत के ही वित्त मंत्रालय की एक महिला अधिकारी फिलहाल बेल्जियम में पदस्थ हैं, ये साहब उनसे मिलने जाना चाहते थे. जब केन्द्र सरकार के अधिकारियों ने कुमावत का बेल्जियम संबंधी आवेदन खारिज कर दिया और इन्हें तत्काल अपने काम पर पेरिस पहुँचने का निर्देश दिया, तो इन्होंने बेल्जियम की उस महिला अधिकारी को ही फ्रांस का टूरिस्ट वीज़ा दिलवाकर दम लिया. वित्त मंत्रालय और नॉर्थ ब्लॉक में इन दोनों की नजदीकियों को लेकर काफी दिनों से खुसर-पुसर चलती रही थी. ये महिला अधिकारी भी निदेशक जैसे उच्च पद पर IRS (भारतीय राजस्व सेवा) से हैं.

वित्त मंत्रालय के कई अधिकारी कहते हैं कि पूर्व में जब ये महिला अधिकारी भारत में ही थीं, उन दिनों कुमावत साहब के साथ इनकी मीटिंग घंटों चला करती थी और इनके केबिन में बिना अनुमति कोई भी नहीं घुस सकता था. सात महीने पहले की बात है, एक बार कुमावत साहब की बीवी सीधे नॉर्थ ब्लॉक में इनके केबिन में दनदनाती घुसी चली आई थी, और उसके बाद जो हंगामा हुआ वह पूरे वित्त मंत्रालय ने देखा था. कुमावत की पत्नी ने कई उच्चाधिकारियों से लेकर अरुण जेटली तक शिकायत की, उसके बाद उस महिला अधिकारी को वित्त मंत्रालय से धकियाकर बेल्जियम भेज दिया गया. हालाँकि बाद में यह खुलासा हुआ कि उदय सिंह कुमावत ने खुद ही उस महिला अधिकारी को बेल्जियम की शानदार पोस्ट पर ट्रांसफर किया था, ताकि बाद में ये दोनों विदेश में आसानी से मिल सकें. कुमावत साहब की पहुँच इतनी ऊँची है कि वित्त मंत्रालय में आयकर विभाग, कस्टम्स, प्रवर्तन निदेशालय, से लेकर अन्य सभी प्रमुख यूनिट्स के लोगों की ट्रांसफर/पोस्टिंग में इनका दखल रहता है. देश के वित्त सचिव हंसमुख अढिया पर “न जाने कौन सा दबाव” डालकर कुमावत साहब ने ही उस महिला को बेल्जियम में पोस्टिंग दिलवाई, वो भी तब जबकि उस महिला अधिकारी से वरिष्ठ चालीस अधिकारी उस पोस्टिंग के लिए अपनी लॉबिंग और आवेदन कर रहे थे.

पेरिस पहुँचने के बाद कुमावत होटल डू कलेक्शानेर में ठहरे, पहुँचते ही उन्होंने अपनी महिला मित्र को बेल्जियम से पेरिस बुला लिया. फ्रांस की ख़ुफ़िया एजेंसियाँ इस महिला अधिकारी पर पूरी निगाह रखे हुए थीं. भारत से काले धन जैसे महत्त्वपूर्ण मामले पर अन्तर्राष्ट्रीय चर्चा करने आए एक अधिकारी से मिलने कौन-कौन आता है, इस पर पूरी निगाह रखी जा रही थी. यानी जिस व्यक्ति को भारत सरकार और देश के लिए मनी लॉन्ड्रीग रोकने संबंधी फाईनेंशियल स्पेशल फ़ोर्स की मीटिंग में भाग लेना था, वह अपनी रंगरेलियों की व्यवस्था में लगा हुआ था. 23 फरवरी के बाद भी ये अधिकारी महोदय होटल से हिलने को तैयार नहीं थे, और इन्होंने होटल प्रबंधन से दो दिनों का एक्सटेंशन माँगा, लेकिन होटल वालों ने इनकार कर दिया क्योंकि भारत सरकार की लिखित अनुमति नहीं थी. फिर ये अधिकारी महोदय बाज नहीं आए और ये अपनी महिला मित्र के साथ दूसरे होटल में शिफ्ट हो गए, तथा 24-25 फरवरी को दो दिनों तक “अवैध हनीमून” मनाते रहे. फ्रेंच ख़ुफ़िया एजेंसियों ने इन साहब की सारी (मतलब सारी) गतिविधियाँ रिकॉर्ड करके उसकी एक CD बनाई और फ्रांस में मौजूद RAW के अधिकारियों को सौंप दी.

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अब थोड़ा सा उदय सिंह कुमावत की “शक्ति”, राजनेताओं से उनके रहस्यमय संबंधों और पोस्टिंग के बारे में जान लीजिए, हैरान हो जाएँगे आप. कुमावत साहब 1993 बैच के IAS अफसर हैं और बिहार कैडर से आते हैं. इन्होंने पिछले कई वर्षों में सभी राजनैतिक दलों से मधुर सम्बन्ध बना रखे हैं. काँग्रेस, भाजपा, NCP के कई मंत्रियों के लिए ये OSD (Officer on Special Duty) का काम कर चुके हैं. कुमावत साहब के विभिन्न “काण्ड” वित्त मंत्रालय में लोकप्रिय तो थे ही, इसलिए पिछले वर्ष अगस्त 2017 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की अपोइंटमेंट समिति की बैठक में यह निर्णय हुआ कि कुमावत साहब को वित्त मंत्रालय से मुक्त करके वापस बिहार कैडर में भेजा जाए. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से कुमावत साहब पिछले माह तक भी वित्त मंत्रालय में ही जमे हुए थे. लगभग सभी पार्टियों के प्रमुख नेताओं ने कुमावत को वित्त मंत्रालय में ही बने रहने देने के लिए अनुशंसा पत्र (Recommendation Letter) लिखे, यहाँ तक कि कुछ नेताओं ने तो कुमावत साहब को मार्च 2018 तक सेवा विस्तार देने का भी अनुरोध किया. मजे की बात ये है कि हाल ही में वित्त सचिव हंसमुख अढिया ने कुमावत साहब को मई 2018 तक का एक्सटेंशन दे दिया है. इससे आप सोच सकते हैं कि कुमावत साहब कितने शक्तिशाली और जुगाड़ू हैं?

सवाल उठता है कि जब प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की बैठक में हुए निर्णय के बावजूद इन्हें वित्त मंत्रालय में मई 2018 तक का सेवा विस्तार मिल जाता है, तो इसका जिम्मेदार किसे माना जाए? कुमावत के सिर पर किस शक्तिशाली व्यक्ति का हाथ है? बिहार की सभी पार्टियों के प्रमुख नेताओं ने उदयसिंह कुमावत को बिहार न भेजते हुए वित्त मंत्रालय में ही बनाए रखने का “विशेष आग्रह” क्यों किया? और यह आग्रह माना क्यों गया? केन्द्र सरकार के वित्त मंत्रालय के इतने बड़े निर्णय को प्रभावित करने की क्षमता किसकी है? आखिर कौन हैं वो लोग, जिनके मधुर सम्बन्ध, और “खास हित” कुमावत साहब से इतने गहरे जुड़े हुए हैं कि उनके सामने प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री जेटली की भी नहीं चलती? दाल में बहुत कुछ काला है, लेकिन इतने उच्च स्तर पर किसी से कोई पूछताछ करने की किसी की हिम्मत नहीं है. यदि ये साहब फ्रांस में रंगरेलियां नहीं मनाते और फ्रेंच ख़ुफ़िया एजेंसियों की पकड़ में नहीं आते तो देश को पता भी नहीं चलता कि ऐसे-ऐसे महान और दिग्गज अधिकारी वित्त मंत्रालय और उसकी महत्त्वपूर्ण समितियों, SIT तथा विशेष फ़ोर्स में काम कर रहे हैं... क्या काम कर रहे हैं, कैसा काम कर रहे हैं, ये तो देश देख ही रहा है.

अब इस खुलासे के बाद प्रधानमंत्री मोदीजी और अरुण जेटली जी से अनुरोध है कि न सिर्फ कुमावत, बल्कि ऐसे और भी अधिकारियों की तत्काल पहचान की जाए और इन्हें वित्त मंत्रालय से धक्के देकर बाहर निकाला जाए. बड़ी-बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों के दलाल व एजेंट के रूप में काम करने वाले ऐसे अधिकारियों के किन नेताओं से मधुर सम्बन्ध हैं ये भी पता किया जाए ताकि काले धन, मनी लांड्रीग और वित्तीय अनियमिताओं की सही जाँच हो सके और अपराधियों को विदेश से खींचकर भारत लाया जा सके.... कुमावत जैसे अधिकारियों को जल्दी से जल्दी सेवामुक्त किया जाना चाहिए. 

साभार :- www.Pgurus.com 

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