भ्रष्टाचार जनित गरीबी = मर्ज़ बढ़ता गया ज्यूँ ज्यूँ दवा की

Written by गुरुवार, 05 जनवरी 2017 15:16

यदि 15 अगस्त 2013 में 810 Million अर्थात 81 करोड़ याने कि 66% जनता इतनी गरीब थी कि वो सरकारी राशन की दुकानों पर मिलने वाले अनाज को खरीदने में असमर्थ थी और उनको जिन्दा रखने के लिये खाद्य सुरक्षा अधिनियम लाया गया जिसके अंतर्गत उन्हें क्रमशः 1, 2 और 3 रुपयों में गेहूं, ज्वार या बाजरा और चावल दिये जाने का प्रावधान किया गया तो अब 7 सवाल यह उठते हैं कि : 

 

(1) 15 अगस्त 1947 में सत्ता हस्तांतरण के बाद 1951 में पहली जनगणना के अनुसार भारत की कितनी आबादी थी और उसमें कितने (संख्या तथा % सहित आंकड़ा) लोग गरीब थे ?

(2) तत्कालीन प्रधान मंत्री नेहरू ने अपने एकक्षत्र शासन काल में ऐसी कौन सी नीतियाँ बनायीं और निर्विरोध लागू की जिसके फलस्वरूप करीब 20 वर्ष बाद भारत में गरीबी इतनी ज्यादा बढ़ गयी कि 1971 के चुनाव में उनकी पुत्री प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी को गरीबी हटाओ देश बचाओ जैसा लोकलुभावन नारा देना पड़ा और उसी नारे की बदौलत चुनाव जीत भी गयीं ।

1971 में जब गरीबी हटाओ का नारा दिया गया था तब भारत की कितनी आबादी थी और उसमें कितने गरीब थे (संख्या तथा % सहित आंकड़ा) ?

(3) प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी अपने एकक्षत्र शासन काल में ऐसी कौन सी नीतियाँ बनायीं और निर्विरोध लागू की जिसके फलस्वरूप करीब 13 वर्ष बाद 1984 तक भारत में गरीबी के साथ साथ भ्रष्टाचार भी इतना ज्यादा बढ़ गया कि उनके बाद जब उनके पुत्र श्री राजीव गाँधी प्रधानमंत्री बने तो उन्हें अन्वेषण एवं अनुसन्धान के पश्चात् सार्वजनिक रूप से यह वक्तव्य देना पड़ गया कि सरकार के खजाने से गरीबों के लिये जो भी 1 रूपया निकलता है - उसका सिर्फ़ 15 पैसा ही गरीबों तक पहुँचता है ।

टिप्पणी : इस वक्तव्य का अर्थ स्पष्ट है कि 85% धनराशि उन्हीं की पार्टी के लोग या उनके सहयोगी  बीच में लूट लेते आ रहे हैं और उसके बाद बचे हुए 15% में बेहद घटिया माल का इस्तेमाल कर के घटिया कारीगरी से घटिया प्लानिंग को अंजाम दिया जाता आ रहा है - थोड़े समय में खराब हो जाती है या टूटफूट जाती है ।
यह सत्य सर्वविदित है ।

श्री राजीव गाँधी के अकस्मात में मृत्यु के समय भारत की कितनी आबादी थी और उसमें कितने गरीब थे (संख्या तथा % सहित आंकड़ा) ?

(4) 2004 से 2014 के अप्रेल तक कांग्रेस ने अपनी विचारधारा के ही समान उन सहयोगी राजनीतिक पार्टियों के साथ - जो गरीबी मिटाने और भ्रष्टाचार समाप्त करने के केंद्रीय मुद्दे पर मौलिक रूप से समर्पित थे - और विश्व के महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी के कुशल नेतृत्व में करीब 10 वर्ष निर्विरोध शासन कर श्रीमती इंदिरा गाँधी द्वारा इंगित गरीबी को हटाने और श्री राजीव गाँधी द्वारा प्रामाणिक वक्तव्य जो वर्तमान तक अकाट्य सत्य के रूप में प्रतिष्ठित है - उस भ्रष्टाचार को समूल नष्ट करने की नीतियों को अंजाम दिया ।

तो प्रश्न यह है कि कांग्रेस के 10 वर्षों में ऐसा क्या अद्भुत चमत्कार हो गया कि 15 अगस्त 2013 को तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह जी द्वारा लाल किले से अपने भाषण में पूरी दुनिया में सुने जाने वाले भाषण में यह उद्घोषणा करनी पड़ी कि भारत के 810 मिलियन अर्थात 81 करोड़ लोगों को सस्ती दर पर अनाज उपलब्ध कराने के लिए फ़ूड सिक्योरिटी बिल अर्थात खाद्य सुरक्षा अधिनियम लाना पड़ा है ?

(5) 2014 में भारत की जनसँख्या करीब 125 करोड़ बतायी जाती है और यदि उसमें 81 करोड़ लोग अर्थात करीब 66% लोग गरीब होने से भी नीचे की अवस्था याने कि भिखारी बनने की हालत में किस चमत्कार के कारण पहुँच गये - जहाँ टैक्सपेयरों के पैसों से ख़रीदा हुआ अनाज उन्हें 1, 2 और 3 रूपया किलो के हिसाब से दिये जाने का कानून बनाने की जरुरत आन पड़ी ?

टिप्पणी : यहाँ भिखारी शब्द का प्रयोग इसलिये किया गया है क्योंकि आजकल भिखारी को भी 5 रुपये से कम का सिक्का देने पर वह देने वाले के मुँह की तरफ़ घूरते हुए देख कर यह सोचता है कि वह खुद भिखारी है या ये 1, 2 रुपये का सिक्का देने वाला !!!

(6) क्या यह पूर्ण विश्वास के साथ प्रामाणिक रूप से यह सिध्द किया जा सकता है कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत अनाज खरीदने - भण्डारण - वास्तविक गरीब तक वितरण इत्यादि में कोई भ्रष्टाचार अथवा घोटाला नहीं हुआ है ?

(7) भ्रष्टाचार जनित इस उत्तरोत्तर बढ़ती हुई गरीबी के गूढ़ रहस्य को समझने के लिए क्या - मर्ज़ बढ़ता गया ज्यूँ ज्यूँ दवा की  - के मुहावरे की सहायता लेनी पड़ेगी ?

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