दबंगों से पीड़ित जमीनी भाजपा कार्यकर्ता की व्यथा-कथा...

Written by शनिवार, 01 जुलाई 2017 07:51

भाजपा पर अक्सर ये आरोप लगते रहे हैं कि जब भी यह पार्टी सत्ता में आती है तो अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को या तो भूल जाती है, या फिर उनकी उपेक्षा अथवा उनके साथ होने वाले अन्याय पर आँखें मूँद लेती है. कई कार्यकर्ताओं की यह व्यथा है कि उनकी सुनने वाला कोई नहीं.

जब कभी सामान्य कार्यकर्ता के साथ कोई दिक्कत होती है तो उसे या तो उचित मंच नहीं मिलता, या फिर किसी उच्च पदाधिकारी के दबाव में उसे उपेक्षित कर दिया जाता है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है सहारनपुर के बेहट गाँव से. इस मामले को विस्तार से पढ़ने पर आपको पता चलेगा कि प्रधानमंत्री कार्यालय अथवा योगी आदित्यनाथ या गृह मंत्रालय को ट्वीट करने से सरकारी मशीनरी थोड़ी बहुत हरकत में तो आती है, लेकिन निचले स्तर के भाजपाई दबंग और स्थानीय जातिगत राजनीति के सामने, सामान्य कार्यकर्ता बेबस महसूस करता है. केवल दिखावटी कार्यवाही करके ऊपर के नेताओं तक लीपापोती कर दी जाती है, जबकि फरियादी को न्याय नहीं मिल पाता.

मैं जितेन्द्र कुमार सैनी, पुत्र स्व. श्री चमन लाल सैनी, ग्राम हथौली पोस्ट साढोली कदीम थाना बेहट जिला सहारनपुर उत्तेर प्रदेश का निवासी हूँ. थाना बेहट में मैंने जो शिकायत दर्ज की है उसमे मैंने पूरी घटना का वर्णन किया है… जो बिलकुल सही और सच है. मेरी शिकायत पर 13 जून 2017 को FIR दर्ज हो गयी थी (लेख का शीर्षक चित्र). FIR दर्ज होने के बाद भी आवारा लड़के रात भर घर के सामने से गाली-गलोच और मेरी पुत्री के बारे में अश्लील शब्द बोलते हुए निकल जाते थे. 15 जून को गाँव के कुछ लोग एकत्र हुए और थाना बेहट में पहुचें. थाना प्रभारी को FIR के बाद भी होने वाली घटनाओ को बताया. थाना प्रभारी ने तभी मेरी शिकायत में एक नाम प्रज्वल धीमान को थाने में बुलाने के लिए सिपाही भेजे लेकिन प्रज्वल घर से फरार हो गया..

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उसके बाद प्रज्वल का ताऊ बाबुराम धीमान (जो एक बीजेपी कार्यकर्ता भी है) कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ मेरे घर पर पहुचें, और मुझ पर प्रज्वल का नाम शिकायत से हटाने के लिए दबाव देने लगे. मैंने अपने गाँव से लोग बुला लिए लेकिन इन बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने गाँव वालो पर भी FIR वापस लेने का दबाव बनाया और गाँव वालो के सामने ये तक कहा कि मेरी पुत्री के अश्लील फोटो उनके पास है वो उन फोटो को सार्वजानिक कर देंगे... इस पर गाँव वालो ने उनसे कहा कि अगर आप लोगो के पास ऐसे फोटो है तो आप वो फोटो पुलिस को दे दो ताकि सही या गलत का फैसला पुलिस करेगी. बाबुराम धीमान अगले दिन बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ मेरे घर पर पहुचें, और मेरी माता जी जो रिटायर अध्यापक है (उम्र 75 वर्ष है), उनको डराया और धमकाया की रिपोर्ट वापस ले लो... वरना आप की पौत्री के फोटो सार्वजनिक कर दिए जायेंगे.

20 जून को मैंने ट्विटर पर PMOIndia myogiadityanath rajnathsingh sardanarohit को टेग करके अपनी शिकायत ट्विट की.. ट्विट का प्रभाव तो हुआ, 30 मिनट बाद ही थाना प्रभारी मेरे घर पर आये और मुझे आश्वासन दिया कि आपके मामले में निष्पक्ष कार्यवाही जल्द ही होगी. थाना प्रभारी मेरे पास से जाते ही प्रज्जवल के घर पर दबिश दी घर पर कोई नहीं मिला तुरंत ही प्रज्वल के पिता राजेश धीमान की दुकान पर दबिश दी, वहां पर भी प्रज्वल नहीं मिला लेकिन पुलिस राजेश धीमान और और उसके छोटे पुत्र को थाने में ले आये... तभी बाबुराम धीमान बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ थाने में पहुच गये और थाना प्रभारी को डाँटने-धमकाने लगे लेकिन थाना प्रभारी नहीं दबे. फिर उन्होंने प्रज्वल को 2 दिन में थाने में पेश करने की मोहलत मांगी, तब थाना प्रभारी ने राजेश धीमान और उसके पुत्र को छोड़ दिया...

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थाने से बाहर निकल कर कुछ बीजेपी नेताओं ने सामूहिक रूप से बीजेपी सहारनपुर जिला अध्यक्ष बिजेंद्र कश्यप जी को अपने इस्तीफे दिए. जिला अध्यक्ष बिजेंद्र कश्यप जी मेरे घर पर आये, मेरी पूरी बात सुनी और मुझे आश्वासन दिया कि बीजेपी का कोई भी नेता या मंत्री आपके मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा और पुलिस को निष्पक्ष जाँच के लिए बोल दिया जायेगा. अगले दिन 21 जून को ये खबर दैनिक जागरण और हिंदुस्तान अख़बार में पढ़ी जो घटना के बिलकुल विपरीत थी, खबर का हैडिंग था “इंस्पेक्टर ने भाजपाइयों को धमकाया” उसकी कटिंग साथ में है. उसके बाद से मुझ पर रोज रिपोर्ट वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है. प्रज्वल को अभी तक थाने में पेश नहीं किया गया और पुलिस भी अब कोई कार्यवाही नहीं कर रही है. मैं रोज थाने में जाता हूँ और थाना प्रभारी मुझे कार्यवाही का आश्वासन दे देते है, लेकिन कर कुछ नहीं रहे. मेरे मामले में बीजेपी नेताओ के कुछ और लड़के भी शामिल हैं, अगर प्रज्वल थाने में पेश होता है तो वो कई नामो का खुलासा करेगा.

इस मामले में राजनीति इस प्रकार हो रही है कि बेहट विधानसभा सीट से इस बार महावीर राणा को टिकट मिला था. महावीर राणा बसपा से निकल कर बीजेपी में शामिल हुए थे. उनके टिकट को लेकर यही बीजेपी कार्यकर्ता और नेता खुश नहीं थे, इनकी वजह से ही महावीर राणा को हार का मुहं देखना पड़ा और बीजेपी को उनके कार्यकर्ताओं और नेताओं की वजह से एक सीट से हाथ धोना पड़ा. नरेश सैनी कांग्रेस से थे जिनको इमरान मसूद की वजह से 98% मुस्लिम वोट मिला और सैनी वोट 60% मिला और यी जीते. दुसरे नंबर पर महावीर राणा रहे जिनको बीजेपी वोटर का वोट मिला है लेकिन सवाल ये उठता है कि तीसरे नंबर पर हाजी मोहम्मद इक़बाल यानी बसपा को इतना वोट कैसे और कहाँ से मिले? सिर्फ हरिजन वोट से इतना वोट मिलना असंभव है, क्योंकि मुस्लिम सब कांग्रेश के साथ गया. यानी कि सीधी सी बात है कि इन बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओ का समर्थन बसपा को मिला. इन बीजेपी कार्यकर्ताओ और नेताओ की वजह से बेहट में बीजेपी ने सीट गँवा दी, लेकिन आरोप सैनी समाज पर लगाए जा रहे हैं. जबकि यहाँ लगभग 40% सैनी समाज भाजपा समर्थक है.

वर्तमान स्थिति यह है कि आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं, कोई कार्यवाही नहीं हो रही, केवल आश्वासन मिल रहे हैं और इधर इस कार्यकर्ता की पत्नी और पुत्री (जिसका कॉलेज शुरू होने वाला है) घर से बाहर निकलने में घबरा रहे हैं. कहने का तात्पर्य यह है कि भले ही दिखने में यह मामला छोटा दिखाई दे रहा हो, लेकिन यदि फरियादी की इस परेशानी में काँग्रेस नेता नरेश सैनी अथवा इमरान मसूद कूद पड़ते हैं, तो खामख्वाह यह मामला राजनीति में फँस जाएगा. जबकि होना यह चाहिए कि जितेन्द्र सैनी की रिपोर्ट पर पुलिस ठीक से बिना दबाव के काम करे तथा भाजपा के बड़े नेताओं की शह पर, उन्हीं के जो बच्चे इस धमकाने वाली गतिविधि में शामिल हैं, उन पर निष्पक्ष कार्यवाही हो. अपने बड़े नेताओं के दबाव में अपने ही परम्परागत वोटर्स और जमीनी कार्यकर्ता की ऐसे उपेक्षा करना ठीक नहीं है. जमीनी कार्यकर्ता ऐसे ही छिटकता है, जिसे वापस अपने पाले में लाना मुश्किल होता है. इसे “घर का आपसी मामला” समझकर पीड़ित के साथ जल्दी न्याय होना चाहिए. आशा है उप्र के मुख्यमंत्री इस दिशा में उचित कदम उठाएँगे. छोटे से विवाद को बड़ा रूप लेते देर नहीं लगती और देश तथा भाजपा को जातियों में तोड़ने वाली शक्तियाँ ऐसे मौके की तलाश में ही तो रहती हैं.

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