गुलजार और आर.डी.बर्मन की अदभुत जोडी़ ने हमें कई-कई मधुर गीत दिये हैं, उन्हीं में से यह एक गीत है । शब्दों में गुलजार की छाप स्पष्ट नजर आती है (उलझाव वाले शब्द जो ठहरे) और गीत की धुन पंचम दा ने बहुत ही उम्दा बनाई है । गीत की खासियत लता मंगेशकर के साथ भूपेन्द्र की आवाज है, लता के साथ भूपेन्द्र ने जितने भी गीत गाये हैं सभी के सभी कुछ खास ही हैं (जैसे "किनारा" फ़िल्म का "मेरी आवाज ही पहचान है" या "मौसम" का दिल ढूँढता है आदि), वही जादू इस गीत में भी बरकरार है, फ़िल्म है "परिचय"..

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