सेकुलर ब्लॉगर्स और तथाकथित निरपेक्ष लेखक भी अपने मुँह में दही जमाए बैठे रहे
कि कहीं उनकी “धर्मनिरपेक्ष” छवि खंडित न हो जाए... जबकि उन्हें पता ही नहीं चला कि कब वे “शर्म-निरपेक्ष” बन गए. इसी प्रकार के हजारों कथित लेखक, कवि, गीतकार, नाटककार और पत्रकार अब बंगाल जाने और वहाँ की ग्राउंड रिपोर्ट भेजने में भी कतराने लगे हैं... शतुर्मुर्गी बर्ताव की हद हो गई है.
वसंत पंचमी के दिन बंगाल के उलूबेरिया के तेहत्ता इलाके में एक स्कूल के बच्चों पर पुलिस न लाठीचार्ज कर दिया, क्योंकि वे सरस्वती पूजन की माँग कर रहे थे. इस स्कूल में पिछले 65 वर्षों से वसंत पंचमी के दिन लगातार सरस्वती पूजन होता आ रहा है. परन्तु मुस्लिम वोटों की लालची और भारतीय संविधान को लतियाने वाली मुमताज़ बानोर्जी उर्फ ममता बानो ने मुसलमानों के विरोध को देखते हुए इस स्कूल में ताले डलवा दिए, ताकि बच्चे सरस्वती पूजा न कर सकें. बंगाल में पिछले पाँच वर्ष में इस्लामीकरण बेहद तेजी से बढ़ा है, स्थिति बेहद गंभीर होती जा रही है, परन्तु केन्द्र सरकार भी इस तरफ विशेष ध्यान नहीं दे रही. बंगाल की स्वस्थ परंपरा और हिन्दू धर्म की मूलभूत आवश्यकताएँ ही आज खतरे में हैं. आए दिन कोई भी मूर्ख सा मौलाना या काजी अपने-अपने फतवे लेकर हिंदुओं को धमकाने लगा है. स्वाभाविक है कि TMC के गुंडों और सांसदों का पूर्ण समर्थन होने के कारण पुलिस प्रशासन भी कुछ नहीं करता, बल्कि अत्याचारियों का साथ देने में लगा रहता है.
सेकुलर पाखण्ड और डरपोक चुप्पी का आलम यह है कि TMC के सांसदों ने संसद का बहिष्कार इसलिए किया क्योंकि वहाँ सरस्वती पूजा है, जबकि उन्हीं के शासन में छात्रों-छात्राओं पर लाठियाँ बरसाई जा रही थीं. कहने के लिए भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां हर किसी को अपने धर्म के पालन की आजादी है, लेकिन पश्चिम बंगाल में शायद इसमें बहुसंख्यक हिंदू शामिल नहीं है. ममता बनर्जी इसके पहले भी राज्य में कई जगहों पर दुर्गा पूजा अनुमति भी नहीं दी थी, कि कहीं मुस्लिमों की भावनाएँ आहत न हो जाएँ. बच्चे जिस सरस्वती माता की मूर्ति को पूजा के लिए ले जा रहे थे पुलिस ने उसे उठाकर थाने में कैद कर दिया. साफ़ दिखाई दे रहा है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार तुष्टिकरण के नाम पर राज्य का इस्लामीकरण कर रही है. पश्चिम बंगाल में महाराष्ट्र के अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति जैसी दाभोलकर छाप विदेशी चंदाखोर NGO एक संस्था भारतीय विज्ञान और युक्तिवादी समिति है, इस संस्था ने सरकारी स्कूलों में सरस्वती पूजा और नवमी उत्सवों के आयोजन को संविधान की मर्यादा के खिलाफ बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग ममता सरकार से की है. विदेशों से पैसा खाकर हिन्दू त्यौहारों और संस्कृति के खिलाफ काम करने वाली युक्तिवादी समिति ने पश्चिमी मिदनापुर के डीआई प्राइमरी और डीआई सेकेंडरी स्कूल को भेजे ज्ञापन में कहा है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, इसलिए सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त किसी भी स्कूल में सरस्वती पूजा और नवमी उत्सव उद्यापन का आयोजन असंवैधानिक है. युक्तिवादी समिति ने दावा किया कि हमारी ही अपील पर कोलकाता के कई स्कूलों में सरस्वती पूजा और नवमी उत्सव उद्यापन का आयोजन बंद कर दिया गया है...
यानी “जयचंद” परंपरा हमें हिंदुओं के बीच सभी तरफ देखने को मिलती है... लगता है कि ममता बनर्जी केन्द्र के सामने ऐसी स्थिति उत्पन्न करना चाहती है कि उसे बर्खास्त करना पड़े, ताकि वह फिर से मोहर्रम मनाकर वोट जुगाड़ सके... क्योंकि ममता का विकास या शिक्षा-रोजगार से कोई लेना-देना तो है नहीं...