Facebook Notes on Swami Padmanabh Temple Treasure
Written by Super User शुक्रवार, 08 जुलाई 2011 21:46
पद्मनाभ मन्दिर की सम्पत्ति मामले में मेरे कुछ छोटे-छोटे फ़ेसबुक नोट्स…
पाठकों, शुभचिंतकों एवं मित्रों…
कई मित्रों ने फ़ोन पर कहा कि हम फ़ेसबुक पर नहीं हैं और न ही इतना समय है कि फ़ेसबुक के नोट्स को पढ़ें और कमेण्ट करें, तो क्या करें…।
ऐसे सभी पाठकों के लिए भविष्य में प्रमुख मुद्दों पर मेरे द्वारा फ़ेसबुक पर जारी किए गये छोटे-छोटे नोट्स को एक जगह संकलित करके एक ब्लॉग पोस्ट बना दूंगा, ताकि जो मित्र फ़ेसबुक पर नहीं हैं वे भी इन्हें पढ़ सकें।
पद्मनाभ मन्दिर की सम्पत्ति के मामले में एक पोस्ट लिख चुका हूं… पेश हैं इसी सम्बन्ध में कुछ फ़ेसबुक नोट्स…
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3 जुलाई 2011
केरल के स्वामी पद्मनाभ मन्दिर में अब तक मिली 65000 करोड़ की सम्पत्ति को देखकर सेकुलरों एवं वामपंथियों की लार, घुटनों तक टपकने लगी है। इस अकूत सम्पत्ति को मुगलों से बचा लिया, अंग्रेजों से भी बचा लिया,,, परन्तु लगता है कांग्रेसी लुटेरों से बचा पाना नामुमकिन होगा। सत्य साँईं ट्रस्ट की सम्पत्ति पर नज़रें गड़ाए बैठे सेकुलर-वामपंथी गठजोड़ की आँखें फ़टी रह गईं पद्मनाभ मन्दिर की सम्पत्ति देखकर…।
यदि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस खजाने को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित किया जाता है तो इसे रुपयों में बदलकर कश्मीर, बांग्लादेश और असम की सीमाओं को इलेक्ट्रानिक सर्वेलेंस वाली बाड़ लगाने, 100 ड्रोन (मानवरहित जासूसी विमान) खरीदने, सीमा पर तैनात सभी सैन्यकर्मियों के खाते में पन्द्रह-पन्द्रह हजार रुपये का बोनस देने, सभी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पुलिस दस्तों के जवानों के खाते में दस-दस हजार रुपये का बोनस देने, देश की सभी गौशालाओं को 1-1 लाख रुपये देने जैसे पवित्र कार्यों में खर्च किया जाये। इन खर्चों की निगरानी भी सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की समिति अथवा CVC करे…
नरेगा जैसी मूर्खतापूर्ण, भ्रष्टाचार तथा हरामखोरी को बढ़ावा देने वाली योजनाओं में लगाने अथवा सेकुलर-वामपंथी नागों से इस खजाने को बचाने के लिए, जोरशोर से यह माँग उठाई जाए।
(यदि सुझाव पसन्द आए हों तो इसे अधिकाधिक शेयर करें तथा भाजपा एवं अन्य हिन्दूवादी संगठनों के नेताओं तक पहुँचाएं, जो अभी तक चुप ही बैठे हुए हैं… जबकि उधर धीरे-धीरे मिशनरी और सेकुलर ताकतें लगातार हिन्दू मन्दिरों-मठों और साधु-सन्तों के पीछे पंजे झाड़कर पड़ी हुई हैं)
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केरल की पत्रिका "मलयाला मनोरमा" की "एक्स्क्लूसिव" खबर के अनुसार, राष्ट्रीय संग्रहालय के निदेशक सीवी आनन्द बोस ने पद्मनाभ मन्दिर से निकलने वाले खजाने एवं दुर्लभ मूर्तियों व सिक्कों के आकलन हेतु राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का एक पैनल बनाया है जो खजाने की वास्तविक कीमत आँकेगा। कुछ गम्भीर सवाल इस प्रकार हैं -
1) मलयाला मनोरमा पत्रिका को यह सारी खबरें कौन लीक कर रहा है और इसके पीछे क्या उद्देश्य हैं?
2) जब सुप्रीम कोर्ट ने सम्पत्ति के बारे में जानकारी प्रकाशित करने पर रोक लगाई थी तो मलयाला मनोरमा ने मूल्यवान वस्तुओं की सूची कैसे छापी?
3) मन्दिर के खजाने को देखकर सबसे अधिक मलयाला मनोरमा की नींद क्यों खराब हो रही है?
4) राष्ट्रीय संग्रहालय के निदेशक को किसने यह अधिकार दिया कि आकलन समिति में किसी विदेशी मूल्यांकनकर्ता को शामिल करें?
5) क्या आनन्द बोस ने यह समिति गठित करने से पहले कोई प्रेस कान्फ़्रेंस आयोजित की? आखिर किसने यह समिति बनाने की अनुमति दी? यह खबरें सबसे पहले मलयाला मनोरमा को ही क्यों मिल रही हैं?
6) क्या विदेशी मूल्यांकनकर्ता को शामिल करने में त्रावणकोर राजपरिवार के सदस्यों की सहमति है?
7) क्या इतने बड़े खजाने को विश्व भर में सरेआम "सार्वजनिक" किये जाने से अन्य मन्दिरों-मठों की सुरक्षा खतरे में नहीं पड़ी है?
सबसे अन्त में एक और सवाल कि भाजपा सहित सभी प्रमुख हिन्दू संगठन इस मुद्दे पर "मुँह में दही जमाकर" क्यों बैठे हैं? अभी तक इनकी तरफ़ से कोई "आधिकारिक बयान अथवा सुझाव" ठोस रूप में सामने क्यों नहीं आया?
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6 जुलाई
शास्त्रों में कहा गया है कि जमीन में गड़े धन की रक्षा हेतु पूर्वजों के रूप में साँप तैनात होते हैं…ताकि वह धन सिर्फ़ "सुपात्र" के हाथ ही लगे… यह तो सतयुग की बात थी…। अब चूंकि कलियुग आ गया है तो मामला उल्टा है, अब "साँप" तहखानों के दरवाजे के बाहर खड़े हैं और धन पर कुंडली जमाने का इंतजार कर रहे हैं… :) :)
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7 जुलाई 2011
श्री पद्मनाभ मन्दिर की सम्पत्ति को मीडिया ने यूँ सरेआम उजागर करके क्या भारत की सुरक्षा को खतरे में नहीं डाल दिया है? अमेरिका की अर्थव्यवस्था की वाट लगी पड़ी है, मध्य-पूर्व के देशों में अस्थिरता फ़ैली हुई है, यूरोप के कुछ देश भूखे-नंगे हो रहे हैं या हो चुके हैं, ऐसी परिस्थिति में भारत के मन्दिरों की अकूत सम्पत्ति का यह प्रदर्शन कहाँ तक उचित है?
- पहले भी अंग्रेज और मुगल हमें लूटने आए थे, लूट कर चले गये… उनकी कई "जायज और नाजायज औलादें" अभी भी यहाँ मौजूद हैं… संसद के 525 सदस्यों में से 250 से अधिक पर लूट-डकैती जैसे आपराधिक मामले चल रहे हैं, कोई नहीं जानता कि इन सांसदों में से कितने, विदेशी शक्तियों के हाथों बिके हुए हैं…
(यह "कोण" सबसे खतरनाक है, क्योंकि अम्बानियों, टाटाओं और जेपीयों के हाथों बिके हुए सांसद इतनी विशाल सम्पत्ति को "ठिकाने लगाने" के लिये "कुछ भी" कर सकते हैं)
- ऐसे में क्या यह कार्रवाई पद्मनाभ मन्दिर, उडुपी मठ, गुरुवायूर, कांची, पुरी, सोमनाथ, काशी विश्वनाथ, वैष्णो देवी, सिद्धिविनायक, स्वर्ण मन्दिर, शिर्डी के साँई इत्यादि जैसे सैकड़ों मन्दिरों की सुरक्षा, यहाँ काम कर रहे ट्रस्टों की विश्वसनीयता, भक्तों की आस्था और श्रद्धा के साथ सामूहिक खिलवाड़ नहीं है? सभी प्रमुख मन्दिरों पर अचानक खतरा मंडराने लगा है…
- भारत इस समय चारों तरफ़ से भिखमंगे और सेकुलर-जिहादी देशों से घिरा हुआ है, इस समय मन्दिरों की सम्पत्ति को सार्वजनिक करना, कहाँ की समझदारी है? (यह तो ऐसे ही हुआ, मानो गुण्डों के मोहल्ले में कोई सेठ कई तोला सोना पहनकर, सब को दिखाता हुआ इतराए)
मीडिया को संयम बरतना चाहिए, लेकिन "ब्रेकिंग न्यूज़" की आपाधापी में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की भी धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं, और ऐसा दर्शाया जा रहा है मानो धन-सम्पत्ति सिर्फ़ मन्दिरों में ही है, चर्च या मस्जिदों में नहीं…
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7 जुलाई 2011
1) राष्ट्रीय संग्रहालय के डॉ सीवी आनन्द बोस ने कहा है कि पद्मनाभ मन्दिर से निकलने वाली दुर्लभ एवं पुरातात्विक सामग्री की जाँच व मूल्यांकन के लिए फ़्रांस से विशेषज्ञ बुलाए जा रहे हैं।
2) डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी काफ़ी समय से सोनिया गाँधी के परिवार द्वारा इटली में संचालित दुर्लभ एवं पुरातत्व सामग्री के दो शो-रूम पर तस्करी का आरोप लगाते रहे हैं… (रॉबर्ट वढेरा की भी दिल्ली में "एंटीक पीस" की दुकान है)…
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अब दो पुरानी खबरों पर निगाह डालिए -
1) सन 2004 में इटली के राष्ट्रपति की भारत यात्रा में भारत और इटली के बीच जो व्यवसायिक समझौते हुए उसमें से प्रमुख था - भारत और इटली के बीच अंतरिक्ष कार्यक्रमों में सहयोग (जबकि इटली की कम्पनियाँ अंतरिक्ष के क्षेत्र में विशेषज्ञ नहीं हैं)। इसी समझौते का फ़ायदा उठाकर इटली की कम्पनियों ने भारत के "चन्द्रयान अभियान" के बहुत से ठेके हथियाए, अन्त में यह चन्द्रयान अभियान "तकनीकी गड़बड़ियों"(?) की वजह से फ़ेल हो गया। इस सौदे में तथा चन्द्रयान अभियान में इटली की कम्पनियों की अनुभवहीनता(?) के कारण भारत के करोड़ों रुपये डूब गये, इसमें इटली की कम्पनियों ने कितने वारे-न्यारे किये, किसी को पता नहीं।
2) अजंता एलोरा की प्रसिद्ध गुफ़ाओं की मूर्तियों एवं पेंटिंग्स के संरक्षण और रखरखाव के लिए भारत की ओर से जयपाल रेड्डी और इटली के संस्कृति मंत्री ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जिसके अनुसार अजंता-एलोरा गुफ़ाओं का संरक्षण इटली के "विशेषज्ञ" करेंगे तथा जरुरत पड़ने पर वे मूर्तियों एवं पेंटिंग्स को "अध्ययन एवं रासायनिक देखरेख" के लिए देश से बाहर भी ले जा सकेंगे…
अब इन चारों खबरों को आपस में जोड़िए-घटाईये, और "कुल निष्कर्ष" निकालने लायक तो आप सभी समझदार हैं ही, मैं अधिक जुर्रत नहीं करूंगा… :)
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8 जुलाई
एक बड़े घटनाक्रम के तहत अचानक समूचे केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने सामूहिक इस्तीफ़ा दे दिया है… असल में प्रधानमंत्री ने कल बयान दिया था कि "पद्मनाभ स्वामी मन्दिर ट्रस्ट का पुनर्गठन किया जा रहा है…"।
उल्लेखनीय है कि शरद पवार, ए राजा सहित कई मंत्रियों ने इस बात पर दुःख जताया था कि उनका पूरा जीवन "व्यर्थ" चला गया, और वे स्वामी पद्मनाभ की कोई "सेवा" न कर सके… :) :)
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जैसा कि पहले भी अर्ज कर चुका हूं कि व्यवसाय की व्यस्तताओं के कारण फ़िलहाल ब्लॉग लेखन कम है लेकिन फ़ेसबुक पर छोटे नोट्स लगातार जारी हैं… यह झलकी उन्हीं मे से कुछ की थी। आशा है पसन्द आएगी…
किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर ऐसे ही फ़ेसबुक अपडेट्स आगे भी यहाँ ब्लॉग पर देता रहूंगा…
नमस्कार…
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